STORY
रोजाना 12 से 14 घंटे करती थी पढ़ाई, अब हैं IAS अफसर, संघर्षों से भरी है वंदना की कहानी।
हर साल लाखों अभ्यर्थी यूपीएससी की परीक्षा में शामिल होते हैं। हालांकि, उम्मीदवारों के बीच यह एक सामान्य धारणा बनी हुई है कि हिंदी मीडियम के उम्मीदवार इस मुश्किल परीक्षा को पास करने में असमर्थ हैं। इसके ठीक विपरीत उत्तराखंड के अल्मोड़ा की वर्तमान डीएम वंदना सिंह चौहान ने न केवल हिंदी मीडियम से सिविल सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की, बल्कि 2012 की देश भर में 8 वीं रैंक भी हासिल की। आईएएस वंदना की कहानी अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा है।
वंदना बेहद विनम्र पृष्ठभूमि से आती हैं। उनका फैमिली हरियाणा के एक छोटे से गाँव नसरुल्लागढ़ में रहता था यहीं वंदना का जन्म और लालन-पालन हुआ। वंदना की ज्वाइंट फैमिली थी और जब बेटियों की पढ़ाने की बात आती थी तो उनके विचार रूढ़िवादी थे। लेकिन वंदना के पिता महिपाल सिंह चौहान अपने बेटी को पढ़ा लिखा कर काबिल बनाने के पक्षधर थे। वंदना को शिक्षा पूरी करने के लिए मुरादाबाद के कन्या गुरुकुल में भेजा गया। जिसके बाद वंदना ने निरंतर मेहनत की और आईएएस बनने के सपने को साकार किया।
वंदना ने 12वीं की पढ़ाई कंप्लीट करने के बाद बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा में एलएलबी कोर्स के लिए एडमिशन लिया। हिंदी मीडियम से ग्रेजुएशन करने वाली वंदना घर पर ही रहकर लॉ की किताबें ऑनलाइन मंगवा कर पढ़ती थी। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी लिहाजा वंदना ने घर पर ही रहकर सिविल सर्विसेज की तैयारी शुरू कर दी।
वंदना रोजाना 12 से 14 घंटे तक पढ़ाई करती थी। इस दौरान केवल भाई ने ही उनका सहयोग किया। वंदना की मेहनत रंग लाई और पहले ही प्रयास में आईएस बन गई। 2012 के यूपीएससी सिविल सर्विसेज के परिणाम में देशभर में 8वीं रैंक हासिल कर आईएस बनने का सपना पूरा किया। वंदना लाखों युवाओं की आइकॉन है। वर्तमान में वंदना उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के डीएम पद की कमान संभाल रही है। गत वर्ष उन्हें डीएम के रूप में शामिल होने के अवसर पर उन्हें कलेक्ट्रेट में गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया था।
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