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राजधानी पटना को मिलेगी CNG स्टेशनों की सौगात, एक हजार नावों को मिलेगा इंधन, वायु प्रदूषण भी होगा कंट्रोल

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आने वाले कुछ वर्षो में पटना में आपको नदी में तैरने वाला सीएनजी स्टेशन भी लगेगा। जी हां यह दीघा, बांस घाट या गायघाट के किनारे हो सकता है। यह सीएनजी स्टेशन नदी किनारे नाव से हो रहे वायु प्रदूषण को रोकने में काफी कारगर सिद्ध हो सकता है। यह अनुमान है कि दीघा से लेकर फतुहा तक 1 हजार से अधिक नावों का संचालन किया जाता है। जो अधिकतर नावें डीजल से चलती हैं। गेल के वरीय अधिकारियों की मानें, तो पटना में जिस तरह से प्रदूषण का दायरा लगातार बढ़ रहा है, उसे देखते हुए सरकार के सहयोग से आने वाले कुछ वर्षों में राजधानी पटना में भी नदी किनारे सीएनजी स्टेशन खुल सकता है।

स्टेशन से सीएनजी नावों को ईंधन मिल सकेगा। हालांकि इसके लिए नावों को पहले सीएनजी में बदलना होगा। इससे यह लाभ होगा कि प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकेगा। साथ ही साथ नाव संचालित करने वाले को राहत भी मिलेगी। कम लागत से हजारों नाव संचालक को आर्थिक लाभ भी होगा। आपको बता दें कि गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने को लेकर गेल इंडिया के तरफ से पिछले दिनों बनारस में नदी के किनारे विश्व का पहला तैरता हुआ सीएनजी स्टेशन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि इसी वर्ष जुलाई में सरकार की ओर से यह प्रोजेक्ट मिला था। उस समय यह टेंडर 2.85 करोड़ रुपये का था, लेकिन फिलहाल इसे तैयार करने में कुल 3.62 करोड़ रुपये का खर्च हुआ हैं। करीब 5 महीने में प्रोजेक्ट पूरा कर लिया गया।

इस तरह अगर देखा जाये, तो यदि राजधानी पटना में गंगा नदी में सीएनजी स्टेशन प्रोजेक्ट 1 से 2 साल में पास हो जाता है, तो लगभग 5 करोड़ रुपये का खर्च हो सकता है। अधिकारियों के अनुसार, बनारस में सीएनजी स्टेशन के उद्घाटन के बाद गेल कंपनी अन्य शहरों में भी गंगा नदी किनारे स्टेशन खोलने को लेकर काफी उत्साहित नजर आ रही है। वैसे पटना एवं आसपास के इलाके में 12 सीएनजी स्टेशन शुरू हो चुके हैं। मार्च तक 8 स्टेशन खुलने हैं।

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