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मिलिए पद्मश्री हलधर नाग से, सिर्फ कक्षा तीसरी तक पढ़े इस शख़्स पर कई छात्रों ने की है पीएचडी (PhD)

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66 वर्षीय कवि हलधर नाग जिनके संदर्भ में न तो अधिक टीवी पर दिखाया जाता है और न ही सोशल मीडिया पर ज्‍यादा कुछ पढ़ने को मिलाता है। परंतु उड़‍िया कवि हलधर नाग के विषय में जब आपको पता लगेगा तो उनसे प्रेरणा लेने से स्वंय को आप रोक नहीं पाएँगे। आपको बताते चले कि हलधर नाग एक निम्नवर्गीय गरीब परिवार से आते हैं और हलधर नाग तीसरी कक्षा में ही अध्ययन छोड़ दिए थे। वे बहुत मुश्किल से विद्यालय गए परंतु आप विश्वास नहीं करेंगे कि वह आज पीएचडी (PHD) करने वाले छात्रों के विषयों की लिस्‍ट में हमेशा ही शामिल रहते हैं।

हलधर नाग के नाम पर पाँच थिसिस भी दर्ज हैं और वे ओड़‍िशा स्थित संबलपुर यूनिवर्सिटी के सेलेबस का हिस्‍सा भी होंगे। तो आइए बताते है कौन हैं कवि हलधर नाग और कैसा रहा है उनके अब तक जीवन।

हलधर नाग को याद है अपना हर कविता

आपको पता हो कि हलधर नाग कोस्‍ली भाषा के अच्छे कवि हैं और उन्‍हें अपनी लिखी हर कविता भी स्मरण में है। हलधर नाग ने 20 रचनाएं लिखीं हैं और यह 20 भी उन्‍हें पूरी तरह मुँह जुबानी स्मरण हैं। हलधर नाग अपनी कविताओं को स्मरण रखने हेतु प्रतिदिन 3 से 4 प्रोग्राम में शामिल होते हैं।

10 वर्ष की उम्र में खो दिया पिता को

हलधर नाग का जन्‍म ओड़‍िशा बाड़गढ़ जिले के घेंस गाँव में एक बहुत ही निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। वह तृतीय वर्ष के पश्चात आगे शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए थे। जब वे 10 साल के थे उनके पिता का निधन हो गया और उन्‍होंने विद्यालय छोड़ दिया था।

स्‍कूल में 16 साल तक रहें कुक

2 साल पश्चात एक गाँव के प्रमुख उन्‍हें उच्च विद्यालय ले गए परंतु यहाँ पर उन्‍होंने शिक्षा ग्रहण नहीं की बल्कि एक रसोइये के तौर पर कार्य किया। 16 सालों तक वह यहाँ पर रसोइए के तौर पर कार्यरत रहे। फिर धीरे-धीरे उस क्षेत्र में कई विद्यालय आने लगे। फिर हलधर नाग ने एक बैंक से 1,000 रुपए लोन लेकर विद्यालय के बच्‍चों के लिए स्‍टेशनरी और खाने-पीने के सामान वाली एक छोटी सी दुकान को खोल लिया।

साल 1990 में आई पहली कविता

हलधर नाग ने पहली कविता ‘धोडो बारगाछ’ को साल 1990 में लिखा था। इसका मतलब होता है ‘बरगद का बूढ़ा पेड़’ और इसे एक लोकल मैगजीन में जगह भी मिली थी। इसके पश्चात उन्‍होंने अपनी 4 कविताओं को प्रकाशित करने के लिए भेजा।हलधर नाग में गाँव वालों को अपनी कविताएँ सुनाना शुरू किया जिससे वह उन्‍हें याद रख सकें और गाँववाले भी बड़े प्‍यार से उनकी कविताएँ सुनते थे। हलधर नाग ने अभी तक कोई चप्पल-जूता नहीं पहना और हम उन्‍हें सदैव ही एक सफेद धोती और एक बनियान में देंखेगे।

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