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बचपन में परचून की दुकान चलाने वाले रामनाथ कोविंद ऐसे बने भारत के महामहिम राष्ट्रपति, आप भी जाने इनकी जीवनी

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भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की भी कहानी दिलचस्प रही है। राष्ट्रपति से पहले बिहार के राज्यपाल रहने वाले रामनाथ कोविंद बचपन में पिता के परचून दुकान की जवाबदेही खुद संभालते थे। पिता लोगों को आयुर्वेदिक दवाएं भी देते थे। परिवार के पास खेती तक के जमीन का अभाव था। राष्‍ट्रपति के भाई प्यारेलाल अब भी परचून की दुकान चलाते हैं। यूपीएससी क्लियर, फिर दिल्ली हाईकोर्ट में प्रेक्टिस, बिहार के राज्यपाल बनने से लेकर देश के राष्ट्रपति बनने तक की बेहद रोचक रही है।

उत्तर प्रदेश के कानपुर से आने वाले रामनाथ कोविंद ने शुरुआती पढ़ाई गांव से करने के बाद डीएवी कॉलेज से बीकॉम की। फिर डीएवी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री हासिल की। साल 1978 में सुप्रीम कोर्ट में ऑन रिकॉर्ड एडवोकेट बने। 1977 से 1989 तक दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार के वकील रहे। फिर सुप्रीम कोर्ट में उन्हें केंद्र सरकार के परमानेंट काउंसलर के रूप में 13 साल तक जिम्मेदारी संभाली।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने साल 1990 में राजनीतिक पारी की शुरुआत करते हुए भारतीय जनता पार्टी के टिकट से घाटमपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। चुनाव प्रचार में बड़ी गाड़ी का अभाव था इसलिए उन्होंने स्कूटर से ही चुनाव प्रचार किया। हालांकि चुनाव में रामनाथ कोविंद हार गए। फिर 1994 में राज्यसभा के सदस्य रहे। रामनाथ कोविंद के सादगी इतनी की 12 वर्षों तक राज्यसभा के सदस्य रहने के बाद भी उन्होंने किराए के मकान में ही रहना पसंद किया।

फिर 8 अगस्त 2015 को रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल बने 25 जुलाई 2017 तक उन्होंने राज्यपाल की जिम्मेदारी संभाली। भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने 25 जुलाई 2017 को शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद सादगी के साथ ही सोम और शालीनता के लिए भी लोग इन्हें बेहद पसंद करते हैं।

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