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पिता ने रिक्शे चलाकर पढ़ाया, 4 बार फेल होने के बाद बेटे ने पाई सफलता, बने अधिकारी

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कहते हैं ना किसी परिचय की मोहताज नहीं होती। इसे सच साबित किया है विजय कैवर्त ने। गरीबी और संघर्ष के बीच सफलता का परचम लहराने वाले हर विजय हर किसी के लिए प्रेरणा बन गए हैं। 3 साल की उम्र में मां को खोया फिर सारी जवाबदेही पिता ने अपने कंधों पर लिया। रिक्शा चलाकर विजय को काबिल अवसर बनाने वाले विजय के पिता ने भी काफी संघर्ष किया है। PSC 2020 के जारी परिणाम में विजय ने 21वीं रैंक हासिल कर पिता के सपनों को साकार किया है।

विजय छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले से आते हैं। शुरुआती पढ़ाई शिक्षा गायत्री ज्ञान मंदिर से हुई है। महज 6 साल की उम्र में मां को खोने के बाद पिता ने सारी जिम्मेदारी अपने कंधों पर लिया। विजय के पढ़ाई में कोई कमी ना रहे इसके लिए पिता कुलदीप कैवर्त ने रिक्शा चलाकर पैसे जुटाए। विजय ने शुरुआती पढ़ाई के बाद सीवी रमन यूनिवर्सिटी सए से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की। फिर नौकरी के लिए काफी जद्दोजहद करना पड़ा। अंततः विजय ने प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी और PCS का एग्जाम दिया। परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ और यहां बाजी मारते हुए विजय ने 21वीं रैंक हासिल की।

विजय सहायक कर आयुक्त के पद पर नियुक्त होंगे। उनके इस कामयाबी से पिता का हौसला काफी बुलंद है। घर में खुशी का माहौल है। राज्य सरकार में अधिकारी बनाए जाने के बाद पिता कहते हैं कि मेरा सपना साकार हुआ है। विजय कहते हैं सफलता के लिए हमें असफलता से घबराए निरंतर मेहनत करते रहनी चाहिए। विजय की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो हालात से घबराकर अपने लक्ष्य से पीछे हट जाते हैं।

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