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कभी लोग उड़ाते थे मजाक अब फोर्ब्स ने विश्व की सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में किया शामिल, जाने वजह
ओडिशा के कुल्लू सुंदरगढ़ जिले में रहने वाली मतिल्दा कुल्लू पिछले 15 सालों से आशा वर्कर का काम कर रही हैं। जिन्हें फोर्ब्स ने दुनिया की ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल किया है। मतिल्दा गांव में काफी बदलाव लाई हैं। मतिल्दा साइकिल से गांव के कोने-कोने में जाकर लोगों को स्वस्थ रहने की सलाह देती हैं। 45 वर्षीय मतिल्दा ने बैंकर अरुंधति भट्टाचार्य और अभिनेत्री रसिका दुग्गल जैसी हस्तियों के बीच अपनी जगह बनाई है।
मतिल्दा बड़ागाव तहसील के गर्गडबहल गांव में काम कर रही हैं। इनका अभी तक का जीवन काफी संघर्ष भरा रहा है। कभी लोग इनकी सलाह और बातों का मजाक उड़ाते थे। वहीं, अब इन्हें इज्जत और सम्मान देते हैं। मतिल्दा सुबह मवेशियों की देखभाल और घर का चूल्हा-चौका संभालने के बाद गांव के लोगों को सेहतमंद रखने के लिए घर से साइकल से निकल जाती हैं।गांव में घर-घर जाकर नवजात और किशोर-किशोरियों को वैक्सीन लगाना, महिलाओं की प्रसव से पहले और बाद की जांच कराना इनका काम है। हर जरूरी सावधानी की जानकारी देना, एचआईवी और दूसरे संक्रमण से गांव वालों को दूर रखने की सलाह देती है।
Matilda Kullu has been an ASHA worker for 15 years. During the pandemic, she became the Covid Warrior for the 964 people of Gargadbahal village, in Baragaon tehsil of Odisha’s Sundargarh district. Here's her story
By @NaandikaT #ForbesIndiaWPower https://t.co/7KUfSzuncL
— Forbes India (@ForbesIndia) November 27, 2021
मतिल्दा कहती हैं, शुरुआती सफर काफी संघर्ष भरा रहा है बीमार होने पर यहां के लोग अस्पताल नहीं जाते थे।जब मैं उनसे अस्पताल से इलाज कराने के लिए कहती थी तो वो मेरा मजाक उड़ाते थे। फिर धीरे-धीरे लोग अपनी सेहत के प्रति जागरुक हो गए हैं। और छोटी-छोटी बीमारी का इलाज कराने अस्पताल में जाते हैं।मतिल्दा कहते हैं की गांव में अधिक संघर्ष करना पड़ा क्योंकि उस दौर में लोग इलाज के लिए अस्पताल के बजाय काले जादू का सहारा लेते थे। ऐसे में लोगों की यह सोच बदलना एक चुनौती था। मतिल्दा के प्रयास से ही गांव में काले जादू जैसे सामाजिक अभिशाप को जड़ से खत्म किया जा सका। गांव में यह बड़ा बदलाव लाने और लोगों को सेहतमंद रहने के लिए प्रेरित करना, इस योगदान के कारण ही फोर्ब्स ने इन्हें दुनिया की शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया।
मतिल्दा कहती हैं, कोरोनाहाल में जिम्मेदारियां काफी बढ़ गई थी। रोजाना कोरोना के लक्षण वाले 50 से 60 मरीजों की जांच के लिए उनके घर जाती थीं, लेकिन इससे भी बड़ी चुनौती थी लोगों को वैक्सीन लगाने के लिए जागरुक करना। गांव में जब वैक्सीन लगाने की शुरुआत हुई तो गांव वालों को इसके लिए बड़ी मुश्किल से राजी किया। धीरे-धीरे लोगों को वैक्सीन लगावाने के लिए जागरुक किया। मतिल्दा कहती हैं, मेरे लिए गांव वालों की सेवा से बढ़कर और कुछ भी नहीं है।
Source- TV9 Hindi
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