BIHAR
अब बिहार की बंजर भूमि पर औषधीय खेती कर किसान होंगे मालामाल
बिहार में खेती अच्छे पैमाने पर किया जाता है। अगर कहे तो बिहार खेत तो पहले से ही सोना उगल रहे थे लेकिन अब बिहार की बंजर भूमि भी सोना उगलेगी। इसके पीछे का सबसे बड़ा कारण है की, किसान पारंपरिक खेती की तकनीक के जरिए औषधीय पौधों की खेती पर अधिक जोर दे रहे हैं। बाजार में औषधीय पौधों की डिमांड काफी अच्छी है ऐसे में इन्हें बेचकर किसानों की अच्छी खासी रकम कमाई हो रही हैं, इसलिए किसाननों की रुझान अब धीरे-धीरे औषधीय खेती की तरफ ही बढ़ रही हैं। दरअसल देखा जाए तो कोरोना काल जे दौरान बाजार में अश्वगंधा एवं सतवार की डिमांड खूब बढ़ी है, हालांकि कृषि विश्वविद्यालय इन औषधीय गुन वाले पौधों कि खेती को बढ़ावा देकर किसानों को समृद्ध करने के प्रयास में लगा है।
सारण जिले के नगरा प्रखंड में प्रयोगिक तौर पर 2 एकड़ बंजर और गैर उपयोगी भूमि पर शुरू हुआ औषधीय खेती अब भविष्य में किसानों के आत्मनिर्भर बनाने में मिल का पत्थर साबित होगा। बिहार के सारण जिले में scsp प्रोग्राम के तहत औषधीय खेती का भ्रमण पान व औषधीय सुगंधित अनुसंधान केंद्र इस्लामपुर से वैज्ञानिकों डॉक्टर एस एन दास, डॉक्टर अजीत पांडेय एवं डॉक्टर प्रभात कुमार औषधीय खेती विकास संस्थान के बिहार झारखंड डॉक्टर एस एन दास ने कहा कि औषधीय खेती किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। औषधीय खेती बंजर भूमि पर भी करना संभव है। एक एकड़ भूमि पर किसान औषधीय खेती कर 50 हजार से 5 लाख तक आराम से कमाई कर सकते हैं। विकास संस्थान के तरफ से किसान नंद लाल राम ने औषधीय खेती के फायदे के बारे में बताये, की कैसे इसके जरिये एक साथ 2 फसल लिया जा सकता है।
इसके साथ ही 2 एकड़ खेत में सतावर और अश्वगंधा की खेती भी किया गया है। जिसमें अश्वगंधा अब हार्वेस्टिंग के लिए तैयार है, अश्वगंधा का उच्च कोटि का पेंसलनुमा जड़ उत्पादन हुआ है वह भी बिना कोई ब्रांच के जो किसानों के लिए बेहद फायदेमंद होगा। यह अनुमान लगाया गया है की, 1 एकड़ खेत में 1 लाख तक का उत्पादन हो जाएगा और 18 महीने के बाद सतावर की हार्वेस्टिंग किया जाएगा जिससे किसान को लगभग 5 से 7 लाख तक कमाई होने की संभावना है। इस फसल का buyback गारण्टी के साथ औषधीय खेती विकास संस्थान उपलब्ध करवाएगी। ऐसे में डॉक्टर अजीत पांडेय और डॉक्टर प्रभात कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि औषधीय खेती करने के लिए सारण की मिट्टी अति उत्तम है। सभी किसानों को इसकी खेती करना चाहिए जिससे बिहार से पलायन को रोका जा सके।
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