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अगले साल फिर इसरो का लोहा मानेगी दुनिया, समुंद्र से लेकर अंतरिक्ष तक का मिशन, जाने क्या है समुंद्रयान मिशन
यह नया साल भारतीय अंतरिक्ष मिशन कार्यक्रम का आगाज ‘गगनयान’ मिशन के साथ शुरू होने वाला है। और 2022 के अंत तक भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी 2 मानवरहित मिशन भी शुरू करेगा। भारत सरकार ने कहा है कि, आने वाले कुछ वर्षो में भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी वीनस मिशन, सोलर मिशन और स्पेस स्टेशन बनाने के लिए मिशन की शुरूआत करेगा। संसद में जानकारी मिली है कि, वर्ष 2022 में इसरों अंतरिक्ष कार्यक्रम वीनस मिशन शुरु करेगा।
कोरोना के प्रभाव की वजह से अंतरिक्ष कार्यक्रम में देरी हुई है, लेकिन इस साल भारत कई अंतरिक्ष मिशनों को अंजाम देने वाला है। विश्व की दूसरी अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ-साथ भारत के अंतरिक्ष सेक्टर में विस्तार के लिए नई नीतियों का निर्धारण किया है। अमेरिका की तर्ज पर भारतीय अंतरिक्ष उद्योग में प्राइवेट सेक्टर को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है। साथ ही इसरो में FDI को भी मंजूरी दी गई है, ताकि इसरो के आर्थिक समस्या दूर हो सके। समाचार एजेंसी IANS के अनुसार, वैश्विक अंतरिक्ष बाजार लगभग 360 अरब डॉलर का है और वर्ष 2040 तक यह 1 ट्रिलियन डॉलर के होने की उम्मीद है।
फिलहाल वैश्विक अंतरिक्ष बाजार में भारत की हिस्सेदारी मात्र 2 प्रतिशत है, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी टेक्नोलॉजी की दुनिया में जो विस्तार किया है, वो इसे विश्व के अग्रणी स्पेस एजेसियों में से एक बनाता है। संसद में अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने जानकारी देते हुए कहा है कि, 2022 में गगनयान मिशन से पहले इसरो 2 मानवरहित मिशनों को पूरा करने वाला है और भारत सरकार की भी यही योजना है। IANS की रिपोर्ट के अनुसार, इस गगनयान मिशन पर 9 हजार 023 करोड़ रुपये खर्च होने वाला है। इसरो द्वारा सैकड़ों सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजा गया है, लेकिन कभी कोई यान इंसानों को लेकर नहीं गया है। लेकिन अब गगनयान के जरिए 4 अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी हो रही है, चारों अंतरिक्षयात्रियों को अभी ट्रेनिंग दी जा रही है। सब कुछ ठीक रहा तो गगनयान 2022 में लॉन्च हो जाएगा। यदि यह मिशन कामयाब रहा तो भारत, अमेरिका, चीन, रूस और जापान के क्लब में शामिल हो जाएगा।
मिशन गगनयान के तहत अंतरिक्षयान में सवार होकर चारों एस्ट्रोनॉट्स 7 दिनों तक पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे। फिर वापस धरती पर लौट आएंगे। इस क्रम में 400 किमी की ऊंचाई पर अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियों को हासिल किया जाएगा, जिससे भविष्य में दूसरे यानों को तैयार किया जा सके। इससे पहले चंद्रयान मिशन इसरो ने लॉन्च किया था। जिससे चंद्रमा की सतह से जुड़ी कई जानकारियां मिली। इसके बाद चंद्रयान-2 को लॉन्च किया गया, लेकिन वह सफल नहीं रहा। अब इसरो का पूरा फोकस गगनयान पर है। इसे PM मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट भी कहा जाता है। इसके लिए फंड की कमी ना हो, सरकार इसका पूरा ध्यान रख रही है।
इसके अलावा इसरो ने समुद्र में भी खोज करना शुरू कर दी है कुछ सालों में भारत की टेक्नोलॉजी अंतरिक्ष के अलावा समुद्र में भी ग्लोबल होगी। भारत सरकार के विज्ञान, प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में एक सवाल का लिखित रूप में जवाब देते हुए कहा कि इसरो एक डीप ओशन मिशन पर काम कर रहा। इसमें एक मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित की जाएगी। इस प्रोजेक्ट का नाम ‘समुद्रयान’ है। उन्होंने आगे बताया कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशियन टेक्नोलॉजी, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत पहले 500 मीटर पानी की गहराई रेटिंग के लिए मानवयुक्त पनडुब्बी विकसित कर उसका परीक्षण किया था।
जितेंद्र सिंह के अनुसार अक्टूबर 2021 में हल्के स्टील का निर्मित पनडुब्बी को 600 मीटर गहराई तक भेजा गया। इसका व्यास 2.1 मीटर था। अब इसे 6000 मीटर गहराई के लिए विकसित करने पर काम हो रहा है, जिसमें टाइटेनियम का इस्तेमाल होगा। साथ ही इसे विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र, इसरो, तिरुवनंतपुरम का सहयोग है। इस प्रोजेक्ट पर 4100 करोड़ रुपये की लागत आएगी, 2024 तक इसका लक्ष्य रखा गया है।
इसरो इसके अलावा रॉकेट और सैटेलाइट बनाने वाले निजी क्षेत्र के स्टार्टअप के लिए भी काम करने वाला है। छोटे रॉकेट निर्माता स्काईरूट एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड और अग्निकुल कॉसमॉस 2022 के अंत तक अपने वाहनों को लॉन्च करने की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि सैटेलाइट बनाने वालीसिजीजी स्पेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, जिसे आमतौर पर पिक्सेल के नाम से जाना जाता है, अगले साल उपग्रह लॉन्च करने की उम्मीद है। इसरो अगले साल आदित्य सोलर मिशन भी शुरू करने वाला है। यह एक सोलर मिशन है।
कोरोना महामारी से मिशन में काफी देरी हो चुकी है, लेकिन अगले साल लॉन्च होने की संभावना है। इस मिशन के तहत इसरो रॉकेट को सूर्य के वायूमंडल में भेजने की कोशिश करेगा, रिपोर्ट के अनुसार, इसरो रॉकेट के जरिए अपने सैटेलाइट को पृथ्वी से 15 लाख किमी की दूरी पर सूर्य के वायुमंडल में भेजेगा। ये उपग्र पृथ्वी और सूर्य के बीच एल-1 नामक प्वाइंट पर भेजा जाएगा। ये बिंदु अंतरिक्ष जगत में एक पार्किंग स्पाउट माना जाता है और अभी तक सिर्फ नासा ही अपने सैटेलाइट को यहां भेजने में कामयाब रहा है।
Source- One India
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