BIHAR
बिहार के शशिकांत नौकरी छोड़ स्टील और स्क्रैप मेटल से बना रहे है कलाकृतियां, औरंगाबाद में स्कल्पचर पार्क बनाने का सपना
इन दिनों शशिकांत ओझा चर्चा का विषय बने हुए हैं। दरअसल, वह लोहा, एल्यूमीनियम, कॉपर, स्टेनलेस स्टील, माइल्ड स्टील और स्क्रैप मेटल से अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। इन धातुओं से वह पशु-पक्षी, पेड़-पौधे बना देते हैं कि देखने वाला देखते रह जाता हैं।
शशिकांत पहले जॉब करते थे, लेकिन अपने शौक के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी और स्कल्पचर बनाने में लग गए। आज उनकी कला का साक्षी पटना का ईको पार्क, जू भी है। उनका सपना है औरंगाबाद में स्कल्पचर पार्क बनाने का। शशिकांत बताते हैं, ‘इंजीनियरिंग करने के बाद पहले उन्हें प्राइवेट जॉब किया। इसके बाद वन विभाग में सरकारी नौकरी भी की। लेकिन इससे सन्तुष्टि नहीं मिली तो नौकरी छोड़ दी और जमशेदपुर में स्टेनलेस स्टील की छोटी सी कंपनी शुरू की।
#बिहार #औरंगाबाद शहर के कलाकार शशिकांत ओझा ने विशिष्ट कला में महारत हासिल की है । वे धातु के टुकड़ों और कबाड़ से अनूठी कलाकृतियां बनाते हैं । देश विदेश में उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं । pic.twitter.com/vJgmzkQKn0
— AIR News Patna (@airnews_patna) February 18, 2022
हालांकि अच्छी खासी कमाई हो रही थी, लेकिन इससे भी उन्हें खुशी नहीं मिली। इसी दौरान स्टेनलेस स्टील से एक शंख बनाया। जिसे देखकर टाटा कंपनी के एक सीनियर अधिकारी काफी खुश हुए। उन्होंने फ्लावर शो एग्जीबिशन में निशुल्क स्टॉल लगाने का ऑफर दिया और यहीं से उनकी कलाकृति की दुनिया शुरू हो गई।’
शशिकांत ने कॉपर वायर से प्लांट बनाकर फ्लावर शो एग्जीबिशन में स्टॉल लगाया। इसकी खूब सराहना की गई। फिर इसके बाद उन्होंने अपनी आर्ट को और भी बेहतर करने का निश्चय किया। शशिकांत अपने इस शौक को बड़े पैमाने पर करने का निर्णय लिया। और उन्होंने एक से बढ़कर एक आर्ट बनाया। वॉल म्यूरल मेटल से पशु, पक्षी, पुष्प एवं वृक्ष बनाया। जो अभी पटना के ईको पार्क की शोभा बढ़ा रहे हैं।
इसके साथ-साथ उन्होंने बॉल बियरिंग से एक बड़ी सी गाय भी बनाई। वहीं, स्टेनलेस स्टील से तितली बनाया, जो पटना के चिड़ियाघर में है। औरंगाबाद के दानी बिगहा स्थित सत्येन्द्र नारायण सिन्हा पार्क की शोभा बढ़ाने वाला घोड़ा भी शशिकांत द्वारा ही बनाया गया है। उनके द्वारा धातु से बनाए गए पशु-पक्षी कई स्थानों पर रखा गया हैं। हाल ही में उन्होंने ऑटो मोबाइल्स पार्ट्स से एक बाघ बनाया है। औरंगाबाद के DM-SP भी इसे देखने आ चुके हैं और सराहना भी की हैं। शशिकांत बताते है कि, देश में इस तरह के आर्ट बहुत कम बनाए जाते हैं। इस तरह के आर्ट इंडोनेसिया-मलेशिया में अधिक बनते हैं। वहां इसकी कीमत 6-7 लाख रुपए होती है, लेकिन मैं मलेशिया-इंडोनेसिया से 40% कम कीमत में बेचता हूं।
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