STORY
22 साल के उम्र में पहले प्रयास में आईएएस बनी सिमी करन की कहानी, सेल्फ स्टडी से पाई सफलता
यूपीएससी सबसे प्रतिष्ठित और मुश्किल परीक्षाओं में से एक। सालों की मेहनत और दृढ़ संकल्प के दम पर अभ्यर्थी इस परीक्षा में सफलता पाते हैं। कई ऐसे अभ्यर्थी भी होते हैं जिन्हें सालों बाद भी इस परीक्षा में निराशा ही हाथ लगती है लेकिन कई ऐसे आईएएस अफसर भी हैं जो बिना कोचिंग क्लासेज के ही स्वध्याय के दम पर इस परीक्षा में कामयाबी पाते हैं। ऐसी ही कहानी महज 22 साल की उम्र में पहले प्रयास में आईएएस अफसर बनी सीमी करन की जिन्होंने बिना कोचिंग क्लासेज किए बगैर ही सेल्फ स्टडी के दम पर इस मुश्किल परीक्षा में सफलता हासिल कर अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा बन गई।
सिमी करन ओडिशा से आती है। लेकिन पूरा बचपन छत्तीसगढ़ के भिलाई में ही बीता। सिमी के पिता डीएन करण भिलाई स्टील प्लांट में नौकरी करते हैं और मां सुजाता भिलाई में ही दिल्ली पब्लिक स्कूल में शिक्षिका हैं। सिमी ने 98.4 फीसद अंकों से बारहवीं कक्षा पास की। वह भिलाई के ही दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की। फिर आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम दिया। आईआईटी बॉम्बे में दाखिला हुआ। यहां से इंजीनियरिंग के दौरान ही इंटर्नशिप के लिए सिमी को स्लम एरिया में बच्चों को पढ़ाने के लिए जाना पड़ा। जहां वह अभावग्रस्त लोगों की मदद के लिए सोची जिसके लिए उन्होंने सिविल सर्विसेज में जाने का मन बना लिया लिहाजा यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
सिमी ने बिना कोई कोचिंग क्लासेस के यूपीएससी तैयारी करने का फैसला लिया। ग्रेजुएशन के अंतिम साल में टॉपर्स के इंटरव्यू और इंटरनेट की सहायता से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी। स्टैंडर्ड बुक से उन्होंने तैयारी किया। हमेशा इस बात का ध्यान रखा सीमित किताबें ही रेगुलर रिवीजन करना चाहिए। बेहतर तैयारी के लिए उन्होंने सिलेबस को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटकर तैयारी की। मेहनत रंग लाई और सीमी करन ने यूपीएससी की सिविल सर्विसेज एग्जाम के जारी परिणाम में देशभर में 31 वीं रैंक हासिल कर सफलता के झंडे गाड़ दिए। पहले ही प्रयास में महज 22 साल की उम्र में आईएएस अधिकारी बनकर सीमी अन्य अभ्यार्थियों के लिए प्रेरणा बन गई।
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