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एक विदेशी महिला जो भारत मे रह रही एवं 50 बेबस और बेघर बच्चों की देखभाल कर रहीं

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हम बात कर रहे हैं। इतालवी नन के बारे में जिन्होंने लगभग 2 दशकों से हमारे देश के दक्षिण भारत के बेसहारा, बेबस और बेघर बच्चों का देखभाल कर रही हैं। वह 50 बच्चों की मां बनकर उनका ख्याल रख रही हैं। वह महिला फैबियोला फैब्री (Fabiola Faibree) हैं। जिन्होंने मदर टेरेसा से प्रभावित होकर उनके नक्शे कदम पर चल रही हैं।

सारे बच्चे ‘अम्मा’ नाम से हैं पुकारते

वर्तमान में आश्वासा भवन नामक शेल्टर होम में करीब 50 बच्चे रहते हैं। इस भवन की शुरुआत फैबियोला फैब्री ने वर्ष 2005 में की थी। फैबियोला फैब्री यहां के बच्चों को आवास, खान-पान के साथ मां का प्यार भी देती हैं। इसलिए सब उन्हें अम्मा कहते हैं।
54 वर्षीय इतालवी नान वर्ष 1996 से बच्चों की देखभाल में लगी हैं। वर्ष 2005 में वह Guillain-Barre syndrome नामक बीमारी रियर डिसोडर की शिकार हो गई थी। इस रोग से ग्रसित होने के बाद इंसान का इम्यून सिस्टम उसके नस पर प्रभाव डालता है। इतनी गंभीर बीमारी से ग्रसित होने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी। ठीक होने पर भगवान का शुक्रिया अदा किया।2013 में उन्हें भारत की नागरिकता भी मिली है।

इस शेल्टर होम में 18 वर्ष तक बच्चे रहते हैं, उसके बाद यह निर्णय लेने के लिए पूरी आजादी है कि उन्हें क्या करना है? अगर उन्हें पढ़ाई करना है तो कर सकते हैं। नहीं तो अपने परिवार के पास जा सकते हैं।यहां लगभग 25 कर्मचारी कार्यरत हैं, और यहां रहने वाले बच्चे बच्चियों की हर व्यवस्था अलग-अलग है। वहीं 18 वर्ष से अधिक उर्म के बच्चियों के उच्च अध्ययन हेतु एरामलूर में एक केंद्र की स्थापना हुई है।

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