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MA के बाद भी नहीं मिली जॉब तो “इंग्लिश चायवाली” के नाम से खोली ली अपनी चाय की दुकान, टुकटुकी हुईं इससे मशहूर
हर इंसान का सपना होता है कि वह पढ़ाई-लिखाई करके एक अच्छी सी नौकरी भी प्राप्त करें परंतु अक्सर यह देखा गया है कि लोग अपने जीवन में बहुत कड़ी मेहनत करके अच्छी पढ़ाई करके और एक अच्छी डिग्री हासिल कर लेते हैं परंतु काफी कोशिशों, मुश्किलो और भटकने के बाद भी बहुतो को नौकरी नहीं मिल पाती है। ऐसी स्थिति में ज्यादातर लोग बहुत सारे लोग निराश हो जाते हैं और सिर पकड़ कर बैठ जाते है अब क्या होगा परंतु निराश होने से कभी कुछ नहीं होगा। अगर आपको अपने जीवन में कुछ करना है तो इसके लिए लगातार प्रयास करते रहना चाहिए एक दिन सफलता अवस्य आकर कदम चुम लेती है।
आज हम आपको कोलकाता में रहने वाली श्रीमतीटुकटुकी दास के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके पिता एक ड्राइवर है और उनकी मां एक किराने की दुकान को चलाती हैं। टुकटुकी हमेशा से ही पढ़ने में बहुत मेहनती रही हैं और उनके पिताजी भी यही कहते थे कि अगर वह ऐसे ही मेहनत करती रहेगी तो उसे आसमान छूने से उन्हें कोई नहीं रोक सकता।
टुकटुकी के पिता जी का एक यही सपना था कि उनकी बेटी बड़ी होकर एक अच्छी सरकारी शिक्षिका बने। टुकटुकी ने भी अपने पिताजी के इस सपने को पूरा करने में कोई भी कसर नहीं छोड़ी अपना पूरा दम लगा दिया था। उन्होंने अपने जीवन में कड़ी मेहनत की और MA इंग्लिश की पढ़ाई कर ली और डिग्री हासिल की। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन भी किया था, जिसके बाद वह नौकरी की तलाश में लगी रहीं लेकिन उनको कहीं भी और कोई भी जॉब नहीं मिल पाई।
टुकटुकी अपने पापा की इच्छा को पूरा करना चाहती थीं और उन्होंने मेहनत भी की, जिसके चलते उन्होंने कभी हार नहीं मानी और वह लगातार कोशिश करती ही रहीं। उन्होंने कई सारे एग्जाम भी दिए थे, उन्होंने अपनी तरफ से हर संभवत कोशिश की परंतु इन सबके बावजूद भी उनको असफलता का ही सामना करना पड़ा पूरी तरह से। इतनी कोशिश करने के बावजूद भी सफल ना होने की वजह से वह बहुत निराश जरूर हुई परंतु उनका हौसला बहुत मजबूत था और उन्होंने इस मुश्किल वक्त में भी कभी हार नहीं मानी। आखिर में टुकटुकी ने चाय की दुकान खोलने का निर्णय ले लिया और यह बहुत सफल भी रहा।
टुकटुकी का ऐसा कहना था, पहले तो मेरे माता-पिता मेरे इस फैसले से बिल्कुल खुश नहीं हुए परंतु उनको कोई ना कोई काम करना ही था और आगे बढ़ना ही था। पढ़ाई करने के बाद वह घर में बैठना बिल्कुल भी नहीं चाहती थीं और यह सही भी था भला इतना पढ़ने के बाद कौन घर पर बैठना चाहेगा। बेटी टुकटुकी का ऐसा बताना था कि कुछ माह पहले ही उन्होंने एक आर्टिकल में चायवाले के विषय में देखा था. उन्होंने इस काम की प्रेरणा एमबीए चायवाले से ली और अपनी उड़ान भी भर दी। वह किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं मानती और असल में यह है भी। उन्होंने कहा कि मेरी पूरी कोशिशों के बावजूद भी मुझे नौकरी नहीं मिली। मैं अपने परिवार की सहायता करना चाहती थी पूरी तरह से। इसी वजह से मैंने चाय की दुकान में काम करने का फैसला आखिरकार कर ही लिया।
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