STORY
8 असफलताओं के बाद भी नहीं माने हार, यूपीएससी में 32वीं रैंक हासिल कर वैभव ऐसे बने IAS
सफलता किसी परिचय की मोहताज नहीं होती। इसे साबित किया है वैभव छाबड़ा ने। बचपन से ही औसत दर्जे के छात्र वैभव ने 8 बार फेल होने के बाद भी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। निरंतर मेहनत और दृढ़ निश्चय के बदौलत यूपीएससी में कामयाबी पाई और दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए। वैभव की कहानी उन छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो असफलता के डर से अपने लक्ष्य से पीछे हट जाते हैं। उन्हें वैभव की कहानी पढ़नी चाहिए।
दिल्ली के मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले वैभव बचपन से ही औसत दर्जे के छात्र रहे हैं। पढ़ाई लिखाई में विशेष रूचि नहीं थे। कक्षा में भी पीछे वाली सीट पर बैठते थे। हालांकि वैभव रोजाना स्कूल जाते थे। 10वीं और 12वीं की परीक्षा भी समान्य अंकों के साथ उतीर्ण हुए। 12वीं के बाद नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट से बैचलर ऑफ टेक्नीशियन की पढ़ाई 4 साल के बजाय 5 साल में 56 प्रतिशत अंकों के साथ पूरी की।
बीटेक की पढ़ाई के बाद घरवाले वैभव से आमदनी की उम्मीद करने लगे। ब कोचिंग क्लासेस में बच्चों को फिजिक्स पढ़ाने लगे। तकरीबन 2 सालों तक अध्यापन से जुड़े रहे। फिर इसी दौरान यूपीएससी के तरफ झुका हुआ और तैयारी शुरू कर दी। फिर बीच में ही छोड़कर बीएसएनएल में नौकरी लगी। वहां भी उनका मन नहीं लगा। नौकरी छोड़ एक बार फिर फिर से यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी।
यहीं से संघर्षों से भरा सफर शुरू हुआ। लगातार मिली असफलता से वैभव असमंजस में पड़ गए। ऐसे विपरीत परिस्थितियों में घर वालों ने सपोर्ट किया। इसी दौरान वैभव सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए। तकरीबन 8 महीने बेड रेस्ट के दौरान ही यूपीएससी की तैयारी की। इस बार उन्होंने सफलता पाते हुए यूपीएससी के घोषित नतीजे में 32वीं रैंक हासिल की और बन गए आईएएस अधिकारी।
- BIHAR3 years ago
Arya-Go का स्पेशल पैकेज,अब मात्र 21 हजार में मिलेगा 21 कारों का काफिला
- BIHAR3 years ago
बिहार में स्कूलों का अवकाश कैलेंडर जारी, जानें 2022 में स्कूलों में कितने दिनों की होंगी छुटियाँ
- STORY3 years ago
मां चलाती थीं पेट्रोल पंप और सिर्फ 22 साल की उम्र में बेटी UPSC क्रैक कर बनी IAS अधिकारी