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प्रवासी मजदूरों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा दे रहा पुलिस वाला, कहा- ‘इन्हें नहीं बनने दूंगा मज़दूर…

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शिक्षा जीवन की वह कड़ी है जो इंसान को विकास से जोड़ती है और उन्नति का मार्ग प्रशस्त करती है। परंतु बीते 2 वर्षों में कोरोना के प्रभाव के कारण शिक्षा सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है। विद्यालयों के बंद होने के बाद बच्चों को ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाया जा रहा है परंतु कुछ बच्चों के पास संसाधनों के अभाव के कारण वह शिक्षा सिर्फ बिल्कुल कट चुके हैं, इसी दौरान एक पुलिस कर्मचारी ने इन बच्चों की मदद करने की ठानी और वे संसाधनों के अभाव से ग्रस्त बच्चों को ड्यूटी से पहले पढ़ा रहे हैं।

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में स्थित अन्नपूर्णेश्वरी नगर के उप-निरीक्षक शांथप्पा जीदमनव्वर प्रवासी मजदूरों के बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं जो संसाधन के जैसे स्मार्टफोन लैपटॉप इंटरनेट आदि अभाव के कारण ऑनलाइन माध्यम से क्लास नहीं कर सकते। उप-निरीक्षक शांथप्पा जीदमनव्वर के इस पहल की खूब तारीफ हो रही है लोगों ने वास्तविक जीवन का सिंघम बता रहे हैं।

उप-निरीक्षक शांथप्पा जीदमनव्वर अपने ड्यूटी पर जाने से पहले इन बच्चों को पढ़ाते हैं। शांथप्पा बोर्ड लेकर जाते हैं और सड़क किनारे बच्चों को बैठा कर निशुल्क शिक्षा देते हैं। वह चाहते हैं कि इन बच्चों का भविष्य उज्जवल हो और वह अपने जीवन में उन्नति करें। वह बिल्कुल नहीं चाहते कि यह बच्चे अपने माता पिता की तरह मजदूरी करें। समाचार एजेंसी एएनआई ने बच्चों को पढ़ाते हुए ट्विटर पर शांथप्पा की तस्वीर को साझा किया। एएनआई की ओर से शेयर की गई तस्वीर में शांथप्पा बच्चों को पढ़ाते हुए दिख रहे हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत के क्रम में उप-निरीक्षक शांथप्पा जीदमनव्वर ने कहा कि, ‘प्रवासी श्रमिकों के बच्चों को भी शिक्षा का अधिकार है। यह उनकी गलती नहीं है कि वे स्कूल नहीं जा सकते या ऑनलाइन शिक्षा हासिल नहीं कर सकते। मैं नहीं चाहता कि ये बच्चे अपने माता-पिता का काम करें, सिर्फ पढ़ाई करें। यह मेरे लिए प्राथमिकता है।’

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