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भारत-नेपाल सीमा सड़क के निर्माण में आ रही समस्याएं हुई दूर, जून तक निर्माण पूरा करने का लक्ष्य
भारत-नेपाल सीमा सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण में जो भी बाधाएं उत्पन्न हो रही थी अब वो दूर हो गई है। हालांकि ये 8 वर्षो से समस्याएं थी जो अब जिला प्रशासन ने दूर दूर कर लिया है। अब सड़क निर्माण कर रही नोडल एजेंसी पथ निर्माण विभाग ने जून 2022 तक सड़क के पूर्ण होने का लक्ष्य निर्धारित किया है। काम में देरी होने की वजह से शेष बचे कार्य के लिए रिवाइज्ड डीपीआर के मंजूरी के लिए मुख्यालय भेज दिया गया है। स्वीकृति मिलते ही विभाग ने शेष कार्य को पूरा करने की बात कही है।
इस महत्वपूर्ण सड़क का 79.5 किमी भाग का निर्माण किशनगंज में होना है। सड़क का अधिकांश हिस्सा बनकर तैयार हो गया है। किन्तु ठाकुरगंज के भातगांव, साबोडांगी और दिघलबैंक प्रखंड के धनतोला में भूमि अधिग्रहण को लेकर कई ग्रामीण असन्तुष्ट थे जो बार-बार विरोध कर रहे थे। इसी वर्ष के प्रारंभ में प्रशासन ने छह सदस्यीय समिति बनाकर भू अर्जन की समस्या दूर करने का आदेश दिया था, जिसमें टीम सफल भी रही।
वर्ष 2017 में प्रलयकारी बाढ़ और फिर 2 वर्ष तक कोराेना का भी काम पर बुरा प्रभाव पड़ा। भारत की 1751 किमी की सीमा नेपाल से लगती है। जिसकी सुरक्षा के लिए यहाँ पर सशस्त्र सीमा बल की तैनाती रहती है। सीमा की राज्यवार लंबाई बिहार में 729 किमी, बंगाल में 100 किमी, सिक्किम में 99 किमी, यूपी में 560 किमी और उत्तराखंड में 263 किमी है। इसी सीमा पर SSB की 455 बॉर्डर आउट पोस्ट है। इसमें 193 बिहार में, 148 यूपी में, 43 बंगाल में, सिक्किम में 18 और उत्तराखंड में 53 बीओपी है।
भूमि अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों का आरोप था कि सर्वे धरातल पर नहीं हुआ। सभी काम टेबल हो गए। पहुंच वाले ग्रामीणों के खेतिहर जमीन का भी आवासीय जमीन बताकर मुआवजा मिला, जबकि अधिकतर लोगों को सामान्य खेतिहर जमीन बताकर मुआवजा दिया गया।
इसके अलावा गांवों में पैतृक जमीन का वर्तमान पीढ़ी में कानूनन बंटवारा नहीं हो पाना और इस कारण भी उहापोह की स्थिति बनी। वर्ष 2013 में इसकी आधारशिला रखी गई थी। देश में कुल 1377 किमी सड़क के बनाने पर 3853 करोड़ रुपये खर्च होना है। जिसमे बिहार में 564 किमी पर 1702 करोड़ रुपए है। वहीं जिले में 79.5 किमी सड़क के निर्माण पर 324 करोड़ रुपए खर्च होना है। हालांकि इतने समय बाद अब लागत भी बढ़ जाएगी।
जिला भू अर्जन पदाधिकारी राशिद आलम ने कहा कि प्रशासन ने कैंप लगाकर और ग्रामीणों से दावा और आपत्ति लेकर भू अधिग्रहण की समस्या को सुलझा ली है। अब बहु अर्जन को लेकर इस सड़क के निर्माण में कोई समस्या नहीं है। पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता वासुदेव नंदन ने कहा कि भू-अधिग्रहण की समस्या खत्म हो चुकी है। सड़क का 80 प्रतिशत निर्माण हो गया है। कुछ पुल-पुलियों के लिए रिवाइज्ड डीपीआर स्वीकृति के लिए भेजा गया है। जून तक निर्माण का कार्य पूरा हो जाएगा।
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