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BIHAR

3 हजार में कबाड़ से खरीदी मोटरसाइकिल, जुगाड़ से बना दी 70 की रफ़्तार से भागने वाली इलेक्ट्रिक बाइक

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बिहार के मधेपुरा में इलेक्ट्रॉनिक का दुकान चलाने वाले एक विज्ञान टीचर ने कबाड़ से 3 हजार में पुरानी मोटरसाइकिल खरीद कर जुगाड़ टेक्नोलॉजी से इलेक्ट्रिक बाइक बना दी। इस बाइक से वे अपने दैनिक आवस्कताओ का कार्य करते हैं।

10 वर्षो से इलेक्ट्रॉनिक बाइक निर्माण के कार्य पर लगे थे किशोर
दरअसल, मधेपुरा नगर में अमित इलेक्ट्रॉनिक के नाम से दुकान चलाते किशोर कुमार सिंह गुजरे 10 वर्षो से इलेक्ट्रॉनिक बाइक निर्माण के कार्य पर लगे थे। वह दो बाइक पहले भी बना चुके थे परंतु वे कामयाब नहीं हुए परंतु आज यह बाइक तो लुक एवम स्टाइल में भी किसी से कम नहीं है।

कबाड़ की दुकान से खरीद कर इलेक्ट्रिक बाइक में किया तब्दील
जुगाड़ टेक्नोलॉजी के मदद से दुकानदार सह विज्ञान के टीचर 55 वर्ष के किशोर कुमार सिंह ने इलेक्ट्रॉनिक बाइक बनाई। ये यामाहा कंपनी की आरएक्स -100 बाइक से निर्माण की गई है। जबकि इस यामाहा बाइक का प्रोडक्शन कई साल पहले भारत में बंद है। यह बाइक या तो कबाड़ में मिलती है या लोग अपने इच्छा से घर में रखते हैं। किशोर ने इसे 3 हजार रुपये में कबाड़ की दुकान से खरीदे फिर इलेक्ट्रिक बाइक में चेंज कर दिया।

इस तरह बनी बाइक
बाइक के इंजन को निकालकर चमचमाते स्टील बॉक्स में लीथियम आयन बेट्री लगाई। एयर बॉक्स में चार्जर एवम उसकी चार्जिंग पॉइंट बनाई गईं। सबसे बड़ा कार्य मोटर सेट करना तथा चक्के को घुमाना था। उसके लिए किशोर ने हव मोटर ऑनलाइन मंगवाई। इसे यामहा के चक्के में सेट करना भी कठिन ही था। किशोर ने यामाहा के हव में पल्सर के हव को सेट किया तथा इसमें मोटर लगाई।

70 की स्पीड से दौड़ती है ये बाइक
अब कबाड़ की 3 हजार की बाइक 40-50 हजार रुपये खर्च करने के बाद इलेक्ट्रिक बाइक में बदल गई। किशोर कहते हैं कि यह बाइक एक चार्जिंग में 50 किमी प्रतिघंटा के स्पीड से 70 किमी तक चलती है। उन्होंने बताया वे अपना सारा आवश्यक कार्य इसी बाइक से निपटाते हैं। बढ़ते तेल के कीमतों में यह बेहत किफायती साबित हो रही है।

इलेक्ट्रॉनिक सामान से जुड़े रहने का महसूस करते हैं किशोर , उनके के बचपन के मित्र बताते हैं कि किशोर को बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक से बेहद लगाव रहा है। कम आयु से ही बच्चों को विज्ञान की शिक्षा देने के सहित ही इलेक्ट्रॉनिक में नया-नया उपयोग करते रहते थे। जब बाजार में इनवर्टर नहीं आया था तो ये अपने हाथ से इनवर्टर का निर्माण करते थे। आज भी यदि कोई इलेक्ट्रॉनिक आयटम कहीं ठीक नहीं होता है तो लोग उनके पास ही आते हैं तथा किसी भी प्रकार की खराब सामान को ठीक कर देते हैं।

अब बनाना चाहते हैं जुगाड़ की कार
दस वर्षो के कोशिश के बाद किशोर ने कबाड़ से चमचमाती इलेक्ट्रिक बाइक बनाई है परंतु अब वे कबाड़ से इलेक्ट्रिक कार बनाने का विचार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डायग्राम रेडी है, बस एक सस्ती कबाड़ वाली कार की आवासक्ता है।

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