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माता-पिता को खोया फिर की बहन की शादी, तीन बार फेल होने के बाद ऐसे बने IAS अफसर
बेहद कम उम्र में ही अपने माता-पिता को खोने के बाद आईएएस बनने तक का सफर तय करने वाले गौरव सिंह की कहानी संघर्षों और मुश्किलों से भरी रही है। तमाम चुनौतियों को पार करते हुए यूपीएससी-2016 के घोषित नतीजे में 46 वीं रैंक हासिल कर गौरव ने सफलता पाई। यूपीएससी की तैयारी कर रहे अन्य अभ्यर्थियों के लिए गौरव की कहानी प्रेरणादायक है।
गौरव राजस्थान के भरतपुर जिले से आते हैं। किसान परिवार से आने वाले गौरव की मां बचपन में ही उनका साथ छोड़ गई। जब 14 साल के थे तो पिता इस दुनिया से चल बसे। पूरे घर की जिम्मेदारी की कमान अब गौरव के हाथों में ही थी। खेती के साथ ही भाई-बहनों की भी देखरेख गौरव ही करते थे। कॉलेज के दिनों में गौरव पढ़ाई के दौरान परिवार का खर्च वहन करने के लिए बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाया करते थे। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की। फिर यूपीएससी की राह थाम ली और बेहतर तैयारी के लिए दिल्ली आ गए।
गौरव ने यूपीएससी की परीक्षा दी। पहले प्रयास में महज एक अंक से प्रीलिम्स परीक्षा में चयन नहीं हो सका। दूसरे प्रयास में भी गौरव को निराश होना पड़ा इस बार भी एक अंक से मुख्य परीक्षा में पास नहीं हो सके। इसी दौरान गौरव भारतीय सीमा बल में असिस्टेंट कमांडेंट के रूप में चयनित हो गए। ट्रेनिंग के दौरान ही सिविल सेवा परीक्षा 2015 की रिजल्ट आई। गौरव को देश भर में 99वां रैंक मिला था। गौरव अपने रिजल्ट से असंतुष्ट थे लिहाजा एक बार फिर परीक्षा दी। साल 2016 के जारी परिणाम में 46वी रैंक हासिल कर गौरव आईएएस अधिकारी बन गए।
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