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BIHAR

बेगूसराय के औद्योगिक पार्क में लगाया जाएगा लीची जूस प्रोसेसिंग प्लांट, होगी जिले की तरक्की

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बेगूसराय जिले में स्थित औद्योगिक पार्क में लीची से जूस निकालने का प्लांट लगाया जाएगा। जिसके लिए एक बड़ी कंपनी ने सरकार को प्रस्ताव भेजा है। फ्रुट एंड वेजीटेबल के लिए भी वरुण बेवरेज ने एप्लाई किया है। उद्योग मंत्री सैयद शहनवाज हुसैन ने कहा है कि, बेगूसराय में ना की सिर्फ नए उद्योग स्थापित हो रहे हैं। बल्कि पुराने उद्योगों का भी काया कल्प भी किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि बरौनी रिफाइनरी में पेट्रोकेमिकल प्लांट लगाए जा रहे हैं अर्थात आने वाले कुछ महीनों में बरौनी फर्टिलाइजर खाद का भी उत्पादन करना शुरु कर देगा। हालांकि अभी 6 फरवरी तक कोरोना के कारण कुछ पाबंदीया हैं जिसके वजह से काम में कुछ ढिल हुई है। लेकिन जल्द ही अब यह भी दूर हो जाएगा। हालांकि केंद्र सरकार बरौनी रिफाइनरी में भी अपना कई प्रोजेक्ट चला रहा हैं जिससे कई छोटे-छोटे उद्योगों का विकास होगा।

प्रतीकात्मक चित्र

शाहनवाज ने कहा कि आने वाले समय में बेगूसराय इलाके की तरक्की निश्चित है। उन्होंने कहा कि बेगूसराय अपनी गरिमा के अनुरूप आकार लेने लगा है। बेगूसराय कई जिले एवं राज्यों का प्रवेश द्वार है। ऐसे में इसके विकास का प्रभाव अन्य जगहों पर भी पड़ेगा। हालांकि किसानों द्वारा लगातार बेगूसराय में लीची प्रोसेसिंग यूनिट लगाने की मांग की जा रही थी।

शाहनवाज हुसैन ने कहा कि यूपी में जदयू चुनाव का असर बिहार की सरकार पर नहीं पड़ेगा। बिहार में हमारा गठबंधन काफी मजबूत है। इससे पहले भी जदयू गुजरात, बंगाल, मणिपुर में भाजपा से अलग होकर चुनाव लड़ चुकी है। भाजपा बिहार में बिहार के बेहतरी के लिए एनडीए में मजबूती के साथ खड़ी है और नीतीश कुमार के साथ 5 वर्ष सरकार चलेगी। बिहार में भाजपा जदयू का गठबंधन मजबूत है। जदयू केन्द्र में साथ रहते हुए पहले भी कई राज्यों में चुनाव लड़ी है।

मौके पर बेगूसराय विधायक कुंदन कुमार, निवर्तमान विधान पार्षद रजनीश कुमार, निवर्तमान जिला अध्यक्ष संजय सिंह, जिला उपाध्यक्ष बलराम सिंह व कुंदन भारती, कोषाध्यक्ष रामकल्याण सिंह, सहकारिता प्रकोष्ठ के पूर्व प्रदेश संयोजक नीरज शांडिल्य, नवीन सिंह, नगर मंडल अध्यक्ष रूपेश कुमार आदि मौके पर मौजूद थे।

वर्तमान समय में जिले में डेढ़ सौ हेक्टेयर में लीची की खेती की जाती है, जिसमें 30 मिट्रिक टन लीची का उत्पादन किया जाता है। लेकिन बाजार के आभाव में किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पिछले वर्ष लॉकडाउन के कारण व्यापारी किसानों से लीची खरीदने की स्थिति में नहीं थे, जिस कारण लीची के किसानों की स्थिति ऐसी हो गई कि अच्छी पैदावार होने के बाद भी किसान लीची को औने पौने दामों में बेचने को मजबूर हो गए थे।

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