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बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक में सामान लेने पर होगी कार्रवाई, आज से लगाया गया पूर्ण प्रतिबंध।

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बिहार में सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर 15 दिसंबर से पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई है। राज्य के किसी भी हिस्से से सिंगल यूज प्लास्टिक की बिक्री, परिवहन और इस्तेमाल पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है। फिलहाल इसका कोई दूसरा ऑप्शन तैयार नहीं किया गया है। बिहार में बोयो डिग्रेडेबल प्लास्टिक का उत्पादन कहीं भी नहीं हो रहा है। अगले साल यानी 2022 के मई महीने से इसके उत्पादन शुरू होने की संभावना है। राज्य के प्लास्टिक उत्पादकों ने बायोडिग्रेडेबल दाना को सिपेट चेन्नई में टेस्टिंग के लिए भेज दिया है। टेस्टिंग पूरा होने में 6 से 7 महीने का वक्त लगेगा।

अब राज्य के लोगों की और मुश्किलें बढ़ने वाली है। अब इसके लिए ज्यादा पैसे खर्च करने करने पड़ेंगे। बिहार प्लास्टिक इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रेम कुमार का कहना है कि बिहार के बाहर से आने वाला बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक के लिए 6 से 7 गुना ज्यादा भुगतान करना पड़ेगा। उन्होंने बताया कि 25 पैसा में मिलने वाला प्लास्टिक बैग के लिए डेड रुपए चुकाने होंगे।

बता दें कि बिहार में रोजाना 60 टन से भी जाएगा सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन होता है। सुबह में तकरीबन 20 बड़ी उत्पादन इकाइयां है। छोटी-छोटी सैकड़ों उत्पादन कंपनियां है जो अब पूरी तरह बंद हो गई है। कई ऐसी कंपनियां भी है जो बैंकों से कर्ज ले रखी है। बिहार प्लास्टिक इंडस्ट्री एसोसिएशन के प्रेम कुमार बताते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक के बंद होने से धंधे से जुड़े उद्यमियों सड़क पर आ जाएंगे। उनकी पूंजी टूट जाएगी और कर्ज के बोझ में डूब जाएंगे।

वहीं बिहार चेयरमैन कमल नेपाली ने सिंगल प्लास्टिक पर बैन लगने की समय सीमा बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि पूरे देश में 1 जुलाई 2022 तक सिंगल प्लास्टिक यूज रहने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिहार के साथ ही पूरे देश में इस समय से प्रतिबंध लागू किया जाए। बीते 26 अक्टूबर को परेशान प्लास्टिक उत्पादक कारोबारियों ने वन पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव से मिलकर अपनी समस्याओं से अवगत कराया है।

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