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बिहार में मिट्टी से ईंट बनाने पर लगेगा प्रतिबंध! केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना, जाने प्रतिबंध का कारण

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लगभग पूरे बिहार में मिट्टी से ईंट बनाने पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी हो रही है। भारत सरकार के बाद अब बिहार सरकार के पहल की बारी है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय अधिसूचना जारी की है, जिदके तहत कोयला आधारित बिजली संयंत्रों के 300 किमी के दायरे में मिट्टी से ईंट नहीं बनाया जाएगा। बिहार सरकार द्वारा इसे लागू करने के बाद ताप बिजली घरों की स्थिति देखकर यह माना जा रहा है कि यह पूरे बिहार में लागू हो सकता है।

संभावना है कि राज्य के अधिकांश हिस्सों में ईंट भट्ठों को बंद करना पड़ सकता है। सिर्फ फ्लाई ऐेश यानी कोयला से चलने वाले ताप बिजलीघरों से निकली राख से ही ईंट का उत्पादन संभव हो सकेगा। इस अधिसूचना को जमीन पर लागू करने के लिए राज्य सरकार की ओर से भी अधिसूचना जारी की जाएगी। इसके अलावा वन एवं पर्यावरण विभाग पर्यावरण से जुड़ी नियम में भी बदलाव हो सकता है। राज्य के खान विभाग को ईंट भट्ठों को लाइसेंस देने से संबंधित नियम में भी बदलाव करने होंगे।

औरंगाबाद के नवीनगर थर्मल पावर प्लांट से 300 किमी के दायरे में नालंदा, गया, नवादा, जहानाबाद, बक्सर, भोजपुर, रोहतास एवं कैमूर जिले के अधिकतर हिस्से आएंगे। इसी तरह बक्सर में कैमूर, रोहतास एवं भोजपुर। बेगूसराय जिले के बरौनी पावर प्लांट से मुंगेर, पटना, समस्तीपुर, लखीसराय और खगड़िया जिलों में मिट्टी से ईंट बनाने पर पाबंदी रहेगी।

पटना के बाढ़ स्थित पावर प्लांट के 300 किमी के दायरे में बेगूसराय, लखीसराय, जहानाबाद, शेखपुरा, नालंदा, भोजपुर, सारण, वैशाली और समस्तीपुर जिले आएंगे। मुजफ्फरपुर के कांटी थर्मल पावर के कारण समस्तीपुर, दरभंगा, सारण, वैशाली, पटना, सीवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर और मधुबनी जिलों में ईंट भट्ठा नामुमकिन होगा। पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार जिले के इलाके भी फरक्का प्लांट के 300 किमी के दायरे में आ जाएंगे। सही मायने में देखा जाए तो बिहार का शायद ही कोई हिस्सा इससे वंचित होगा।

सरकारी और निजी दोनों तरह के निर्माण में फ्लाई ऐश से बनी ईंटों से निर्माण को बढ़ावा देकर मिट्टी के क्षरण के साथ ही प्रदूषण पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। भवन, सड़क, फ्लाईओवर के रेलिंग बनाने, तटरेखा की सुरक्षा के उपाय करने, परियोजनाओं के निचले क्षेत्रों को भरने, खनित स्थलों को मिट्टी की जगह फ्लाई ऐश से भरने के विकल्प को भी बढ़ावा दिया जा सकता है।

इसके अलावा फाइबर सीमेंट शीट, पाइप, बोर्ड, पैनल के निर्माण, सीमेंट निर्माण और रेडी मिक्स कंक्रीट के निर्माण में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। थर्मल पावर प्लांट के 300 किमी के दायरे में मिट्टी से ईंट नहीं बनाने और केवल फ्लाई ऐश से ईंट बनाने से संबंधित भारत सरकार की अधिसूचना को बिहार सरकार पूरी तरह से लागू करेगी। शीघ्र ही बैठक कर इससे संबंधित कार्ययोजना तय की जाएगी।

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