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BIHAR

बिहार में औद्योगिक विकास के दिशा में एक और कदम, अब जमीन रजिस्‍ट्री में नहीं लगेगा कोई शुल्क

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बिहार राज्य में जमीन इतना खरीदना आसान नहीं है। भले ही लोगों की आय कम है, किन्तु दूसरे राज्यों की अपेक्षा बिहार में जमीन की कीमत अधिक है। जमीन की कीमत तो महंगा है है लेकिन इसमें भी बड़ी दिक्‍कत है महंगा निबंधन एवं स्‍टांप शुल्‍क। हालांकि, सरकार द्वारा जमीन की लागत कम करने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया है।

दरसल सरकार ने खास प्रयोजन के लिए जमीन खरीदने पर निबंधन एवं स्‍टांप शुल्‍क पूर्ण रूप से माफ करने का फैसला किया है। उद्योगों के स्थापना के लिए सस्ती जमीन उपलब्ध कराने को लेकर राज्य सरकार ने अहम कदम उठाया है। अब औद्योगिक जमीन के लिए निबंधन एवं स्टांप शुल्क माफ कर दिया गया है।औद्योगिक क्षेत्र या उससे बाहर उद्योग स्थापित करने के प्रयोजन से लीज, बिक्री या ट्रांसफर की गई जमीन पर निबंधन एवं स्टांप शुल्क में 100 फीसदी छूट देने का फैसला किया है।

प्रतीकात्मक चित्र

हालांकि मद्य निषेध एवं निबंधन विभाग द्वारा इससे जुड़ी अधिसूचना भी जारी कर दिया गया है। सरकार द्वारा लिए गए इस फैसले से उद्योगों के लिए जमीन की कीमत में कमी आएगी। विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, बियाडा को सरकार द्वारा आवंटित भूमि के निबंधन पर अब स्टांप एव निबंधन शुल्क नहीं देना होगा। इसी प्रकार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकार के अंदर या बाहर की ऐसी कोई भी जमीन जिसका उपयोग निजी निवेशकों उद्योग स्थापित के लिए करेंगे, उसके दस्तावेजों के निबंधन पर स्टांप शुल्क माफ कर दिया गया है। हालांकि सिर्फ नई इकाइयों को ही इसका लाभ मिलेगा।

इसके अलावा निजी निवेशकों को 100 प्रतिशत निबंधन एवं स्टांप शुल्क में छूट तभी मिलेगा जब उनका निवेश प्रस्ताव राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद से स्टेज-एक क्लियरेंस प्राप्त हो। निबंधन एवं स्टांप शुल्क के अलावा भू-स्वामी रजिस्ट्रीकरण शुल्क, प्रतिलिपि शुल्क एवं कंप्यूटरीकृत निबंधन के लिए लिया जाने वाला सेवा शुल्क नियमानुसार लगेंगे।

अधिसूचना के मुताबिक, निजी निवेशकों को इस छूट का लाभ केवल पहले संव्यवहार में लीज, बिक्री या ट्रांसफर के दस्तावेजों पर ही मिलेगा। इसके लिए उद्योग विभाग से भूमि का विवरण एवं स्थान के साथ निवेशकों के नाम से प्राधिकार पत्र निर्गत होगा, जिस पर उन्हें छूट दी जाएगी। वहीं इसके बाद के चरणों पर छूट नहीं मिलेगी। इसके अलावा यदि राज्य सरकार द्वारा जो नीति निर्धारित है निवेशक उसका अक्षरश: पालन नहीं करता है, तो दी गई छूट की राशि निवेशक से उद्योग विभाग के द्वारा वसूल की जाएगी। यह अधिसूचना 31 मार्च, 2025 तक प्रभावी होगा। 

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