BIHAR
बिहार, चंपारण का युवा नौकरी छोड़ पहुँचा अपने गाँव, अब तालाब में मोती उगाकर कमा रहा 30 – 35 लाख सालाना
आज के समय मे आर्थिक स्थिति से कमजोर होने के कारण अधिकांश लोग अपने गाँव से शहर की तरफ रुख करते हैं, ताकि वह अधिक पैसे कमाकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर सकें।
आज हमारे इस लेख में आपको हम एक ऐसे युवक के बारे में जानकारी देंगे, जिन्होंने शहर को अलविदा कह अपने गाँव की तरफ रुख मोड़ा। आज अपने गाँव के तालाब में मोती उगाकर लाखों पैसे कमा रहे हैं।
हम बात कर रहे है 28 साल के आयु के नितिल भारद्वाज (Nitin Bharadwaj) बिहार (Bihar) के पश्चिमी चम्पारण (Pashchimi Champaran) जिला के रामनगर (Ramnagar) शहर से संदर्भ रखते हैं। नितिल का मानना है कि तालाब में मोती का हम स्वयं का रोज़गार करते हैं, तब यह हमारे लिए सबसे अच्छी बात है। उन्होंने बताया कि अगर हम अपने कार्य को पूरी ईमानदारी के साथ कर रहे हैं, तब हमें सफलता अवश्य मिलती है। आज वह बिहार राज्य के चम्पारण जिले के लिए सभी युवाओं के लिए उदाहरण बन गए हैं। (Pearl Farming)
नितिल भारद्वाज (Nitin Bharadwaj) दिल्ली में करते थे काम
आपको पता हो कि नितिल पहले दिल्ली में एक MNC कंपनी में नौकरी कर रहे थे लेकिन उन्होंने पिछले साल पूर्व उस नौकरी को छोड़ दिया और अपने गाँव को लौट आए। वह योजना बनाकर लौटे थे कि जब वह गाँव आएँगे, तब मोती की खेती करेंगे। अब नितिल भारद्वाज (Nitin Bharadwaj) गाँव में आकर तालाब में मोती की खेती प्रारंभ किया।
ट्रेनिंग के बाद उतरे खेती में
नितिल भारद्वाज (Nitin Bharadwaj) ने यह जानकारी दिया कि जब हमारे देश के PM मोदी ने आत्मनिर्भर होने की बात कही थी। उसी वक्त मैंने यह निश्चय कर लिया था कि मैं भी आत्मनिर्भर बनूँगा। मैंने मोती की खेती पर शोध किया और प्रशिक्षण लेने के बाद इस क्षेत्र में आया।
हर वर्ष 30 से 35 लाख की हुई आमदनी
शुरुआती दौर में नितिल भारद्वाज (Nitin Bharadwaj) ने लगभग 6 माइग्रेंट लेबर का समर्थन मिला। ये सभी व्यक्ति भी भारत मे आए म हामारी के कारण शहर को छोड़ गाँव में वापस आ गए थे। उन्होंने मात्र 1 एकड़ ज़मीन में ही मोती की खेती की शुरुआत की और लगभग 8 महीने में उन्हें अपने दृढ़शक्ति से किए गए कार्य के द्वारा 30 से 35 लाख रुपए की आमदनी हुई।
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