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बिहार के गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह जो आइंस्टीन को चुनौती दिए थे , जिनकी गणना से हैरान रह गए थे नासा के वैज्ञानिक
गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का आपने नाम सुना ही होगा दुनिया की मानी जाने वाली हस्तियों में नरायण सिहं का भी नाम सम्मिलित है नारायण सिंह ने महान वैज्ञानिक आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत को चुनौती दी थी और मशहूर नासा में अपोलो की लॉन्चिंग से पहले 130 कंप्यूटर कुछ समय के लिए बंद हुए तो कंप्यूटर ठीक होने पर उनका और कंप्यूटर का कैलकुलेशन एक ही जैसा निकला था। कई वजह है जिसके कारण आपका नाम
गणितज्ञ नारायण सिंह पड़ा जिसमें से एक वजह कंप्यूटर और नरायण जी का कैलकुलेशन सेम होना इसलिए दुनिया नारायण सिंह को गणितज्ञ नारायण सिंह के नाम से जानती है।
नारायण सिंह का जन्म से जुड़ी बातें
नारायण सिंह का जन्म बिहार के बसंतपुर गांव में अप्रैल की 2 तारीख 1942 में हुआ था। वह पढ़ाई में शुरुवात से तेज थे। और अपनी पढ़ाई के सामने गरीबी को आड़े नहीं आने दिया था। यदि हम शिक्षा दीक्षा की बात करें तो नारायण सिंह कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से आपनी पी जी की डिग्री लेने के पश्चात वशिष्ठ नासा में गणितज्ञ के रूप में कार्य करने लग गए थे। 1969 का यह वही साल था जब नासा का ऑपोलो मिशन लॉन्च हुआ था। दूसरी तरफ मिशन था जिसमें पहली बार इंसान को चांद पर भेजा गया था। मिशन एक मशहूर किस्सा बना जब अपोलो मिशन के दौरान कुछ देर के लिए कंप्यूटर बंद हुए। तब वशिष्ठ नारायण सिंह ने कार्य को रुकने न दिया और गणित लगाकर हिसाब निकाला, जिसके बाद कंप्यूटर चालू हुआ तो आपका और कंप्यूटर का कैलकुलेशन एक निकला था।
शादी के बाद पत्नी ने छोड़ा साथ
उपर्युक्त के कारण नारायण सिंह के बारे में पूरे बिहार के साथ भारत में चर्चा हुई थी। इस दौरान कई रिश्ते भी आए हालाकि वह शादी नहीं करना चाहते थे, परंतु कुछ समय पश्चात उन्हें हां करनी पड़ गई थी। विवाह वर्ष 1973 में वंदना रानी सिंह के साथ हुआ। शादी के पश्चात वह अपनी पत्नी के साथ अमेरिका चले गए और अमेरिका जाने के पश्चात पत्नी को वशिष्ठ की कुछ हरकतें सही ना लगी कुछ समय बाद उन्हें वशिष्ठ की मानसिक बीमारी के बारे में भी पता चला। साल 1976 में दोनों भारत लौट आए और आईआईटी कानपुर में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हुए। इसके पश्चात आपने बॉम्बे तथा फिर आईएसआई कोलकाता में नौकरी की। चूंकि मानसिक हालत सही नहीं थी तबियत और बिगड़ती रही और 1976 में पत्नी ने उन्हें तलाक दे दिया और वह पूरी तरह से टूट गए। कुछ समय बाद पता चला उन्हें सिजोफ्रेनिया नामक एक बीमारी है। यह बीमारी ऐसी थी जिसमें मरीज असलियत से नाता खो देता है।
4 वर्षो बाद मिले पत्नी के गाँव
मानसिक स्थिति ऐसी थी कि एक बार नारायण अपने भाई के साथ रहने के लिए पूणें जा रहे थे। अचानक ट्रेन से वह गायब हो जाते हैं खूब तलाशने पर भी ना मिले और वह 4 साल के बाद अपनी पूर्व पत्नी के गांव के पास मिले। घर वालों ने इन पर नजर रखे रहे थे और इनके इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया था, जिसके पश्चात वह चर्चा में आए पिछले साल खबर आई कि प्रकाश झा वरिष्ठ नारायण की में उनकी बायोपिक फिल्म बनेगी। आपकी मृत्यु 14 नवंबर 2019 को हुई वह 40 साल से मानसिक बीमारी सिजोफ्रेनिया नामक बीमारी से पीड़ित थे। गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण महान शख्सियत थे। दुनिया से चला जाना मतलब के भारत को नुकसान होना है। एक महान व्यक्ति को हमेशा के लिए भारत ने खो दिया। भले ही आज हमारे बीच वह नहीं है, परंतु दुनिया उन्हें उपर्युक्त कार्यों के लिए आज भी याद कर रही है।
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