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BIHAR

बिहार के खेतों में भी केमिकल से जलाई जाएगी पराली, कृषि विभाग ने बायोडिकम्पोजर का दिया ऑर्डर

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धान की फसल कटाई के बाद उसका अवशेष यानि पराली बहुत बड़ी समस्या है। किसान खेतों में ही पराली जला देते हैं जिसके कारण प्रदूषण की समस्या उत्पन्न हो जाती है। दिल्ली के बाद बिहार सरकार ने भी इससे पार पाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है। खेतों में ही पराली को केमिकल से नष्ट किया जाए इसके लिए बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने बायोडिकम्पोजर का ऑर्डर दिया है। इसके उपयोग से पराली खेतों में उर्वरक का काम करेगा वहीं पराली जलाने की समस्या से मुक्ति मिलेगी।

दिल्ली के खेतों में इस योजना के सफल होने के बाद बिहार सरकार के कृषि विभाग के अधिकारियों ने इस योजना की शुरुआत की है। डॉ राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ने बायो डिकम्पोजर मशीन को बनाया है‌। भारतीय कृषि अनुसंधान से मिली जानकारी के अनुसार 20 रुपए की कीमत वाली 4 कैप्सूल का एक पैकेट है जिसे 25 लीटर घोल बनेगा जो एक हेक्टेयर जमीन में छिड़काव किया जा सकेगा। 15 दिनों के भीतर ही पराली खाद में परिवर्तित हो जाएगा। किसानों को सुविधा होगी ही साथ ही खेतों में यह पराली उर्वरक का काम करेगा।

बायोडिकंपोजर के इस्तेमाल के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है। बिहार कृषि विश्वविद्यालय ने बायोडिकम्पोजर बनाने का निर्देश दिया है। राज्य में इस प्रयोग के सफल के बाद महज 20 रुपए के कैप्सूल से पराली की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी। इस संबंध में वैज्ञानिक कहते हैं कि 5 लीटर पानी में 100 ग्राम गुड़ उबालने के बाद 50 ग्राम बेसन कैप्सूल में मिलाना है। फिर 10 दिनों तक अंधेरे कमरे में रख कर उसके बाद पराली पर छिड़काव करना है।

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