BIHAR
पूरी तरह बदल गया नालन्दा विश्वविद्यालय का स्वरूप, तस्वीरें देख आप भूल जाएंगे कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड का नाम
अब अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस और वर्ल्ड क्लास कैंपस में पढ़ने का सपना नालंदा में भी पूरा किया जा सकता है। नालंदा में बनकर तैयार हुए नालंदा यूनिवर्सिटी के कैंपस किसी विदेशी युनिवेर्सिटी से कम नहीं है। जी हां, नालंदा युनिवेर्सिटी अब इतना बेहतरीन बनाया गया है कि इसकी तस्वीर देख आप बाकी युनिवेर्सिटी भूल जाएंगे।
यकीनन अब नालंदा विश्वविद्यालय को देखकर ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज का नाम लेना भी लोग नहीं चाहेंगे। शीघ्र ही नालंदा यूनिवर्सिटी के नए भवन का उद्धाटन भी PM नरेंद्र मोदी कर सकते हैं। यह बात सभी को पता हैं कि नालंदा विश्वविद्यालय पूरी दुनिया के ज्ञान विज्ञान का केंद्र रहा है। दुनियाभर से छात्र यहां पढ़ने आते हैं। दरसल सन् 1193 में बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय को पूरी तरह से नष्ट कर कर दिया था। तब से यह एक खंडहर जैसा हो गया था, लेकिन अब बिहार सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास को दोबारा से स्थापित कर फिर से बनाया है।
नालंदा यूनिवर्सिटी का नया कैंपस 456 एकड़ में तैयार किया गया है। जहां इसका इतिहास और आधुनिक निर्माण कला का अनूठा प्रदर्शन देखने को मिलता है। यूनिवर्सिटी की सीढ़ियों और इन भवनों की बनावट पुराने नालंदा विश्वविद्यालय की यादों को तरो-ताजा कर देती हैं। वहीं रेन वाटर हार्वेस्टिंग और मेन गेट पर आकर्षक रोशनी का व्यवस्था किया गया है, जो आधुनिक शैली की एक शानदार झलक दिखती है। इसके अलावा नालंदा यूनिवर्सिटी के भवन का निर्माण मौसम के अनुकूल किया गया है। जहां गर्मी में ठंडक और ठंड में गर्मी का अहसास होगा। इस भवन के चारों तरफ बिल्कुल साफ नीला पानी दिखाई देता है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम की सलाह पर नीतीश सरकार ने नालंदा विश्वविद्यालय को नया भवन बनाने का फैसला लिया था।
A reflection of the old through the new!
A look at the state-of-the-art @nalanda_univ campus coming up in #Rajgir. pic.twitter.com/hjG5ML7LDY— Nalanda University (@nalanda_univ) May 11, 2021
केन्द्र सरकार द्वारा 2007 में नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन की उपस्थिति में मेंटर ग्रुप का गठन किया गया था, जिसमें चीन, सिंगापुर, जापान और थाईलैंड के प्रतिनिधि शामिल थे। बाद में मेंटर ग्रुप ही विश्वविद्यालय का गवर्निंग बॉडी बन गया।वहीं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की वजह से ही नालंदा यूनिवर्सिटी के निर्माण में जापान, सिंगापुर ने सहयोग किया था।
इसकी स्थापना के लिए 16 देशों की सहमति बनी। 2010 में संसद में ऐक्ट पास हुआ। मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा गया और 21 सितम्बर 2010 को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी और 25 नवंबर को यह अस्तित्व में आ गया था। नालंदा यूनिवर्सिटी के पहले सत्र में स्कूल ऑफ हिस्टोरिकल स्टडीज और स्कूल ऑफ इकोलॉजी एण्ड एनवायरमेंट की पढ़ाई शुरू हुई। मालूम हो कि, इस यूनिवर्सिटी का इस तरह विकास किया जा रहा है कि यहां से एकेडमिक पढ़ाई हो, बल्कि शोध केन्द्र के रूप में भी विकसित हो। इसे विश्व का सबसे यूनिक शोध केन्द्र बनाए जाने की योजना भी चलाई जा रही है।
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