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पिता करते थे मजदूरी, मां बेचा करती थी सब्जी, फिर शरण 8वीं रैंक ला बने आईएएस
हर साल लाखों अभ्यर्थी यूपीएससी की परीक्षा देते हैं, लेकिन सफलता कुछेक को ही मिलती है। तमाम मुसीबतों को पार करके कठिन परिश्रम के दम पर आईएस बने इस युवा की कहानी लोगों के लिए प्रेरणा है। यूपीएससी में देशभर में 8 वीं रैंक हासिल करने वाले शरण कांबले को सफलता मिलने के बाद लोगों ने कंधे पर बिठा कर उनका अभिनंदन किया था।
घर की माली हालात के बावजूद शरण ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अपनी तैयारी जारी रखी। पिता महाराष्ट्र के सोलापुर में मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। शरण अपनी सफलता का सारा श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। एक साक्षात्कार में शरण ने बताया था कि पढ़ाई का खर्चा उठाने के लिए परिवार भूखे पेट तक सोने को मजबूर था।
शरण अभ्यर्थियों को सलाह देते हैं कि यूपीएससी की तैयारी के लिए कोचिंग के अलावा खुद मेहनत करनी पड़ती है। वे ज्यादा से ज्यादा सेल्फ स्टडी और रिवीजन को तवज्जो देते हैं। शरण कहते हैं कि कई बार अभ्यर्थी सिर्फ किताब पढ़ते रहते हैं लेकिन नोट्स बनाना ही भूल जाते हैं। सबसे अच्छा है कि आप रिवीजन नोट्स से करें। यह सिलेबस को भी छोटा कर देता है। इसका बड़ा फायदा होता है कि जब परीक्षा पास होता है तो आसानी से पढ़ सकते हैं।
शरण बताते हैं कि बचपन के दिनों से ही उनकी रुचि पढ़ाई में थी और घर की माली हालत बहुत खराब थी। मां सब्जी बेचती थी बड़े भाई की नौकरी लगने के बाद धीरे-धीरे घर की स्थिति पटरी पर लौटनी शुरू हो गई। बीटेक के बाद नौकरी मिली लेकिन स्थिति सामान्य होने के बाद उन्होंने बेहतर तैयारी के लिए दिल्ली का रुख किया।
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