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आटा चक्की चलाने वाला का बेटा बना न्यूक्लियर साइंटिस्ट, छात्रवृत्ति के पैसों से पढ़ाई कर पाई सफलता

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अति साधारण पृष्ठभूमि से आकर गांव के इस मेहनती युवा ने कामयाबी की मिसाल पेश कर दी है। हरियाणा के हिसार जिले से आने वाले अशोक कुमार भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर में परमाणु वैज्ञानिक के पद पर चयनित हुए हैं। अशोक‌ का यह सफर संघर्षों से भरा रहा है। पिता गांव में ही आटा-चक्की चला कर परिवार का खर्च वहन करते हैं। जर्मनी की सीमनस कंपनी में 50 छात्रों को स्कॉलरशिप मिलने वाले में अशोक चयनित हुए थे इसी पैसों से उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। दिन के 12-12 घंटे के परीक्षा की तैयारी करते रहें। मेहनत रंग लाई और अशोक ने न्यूक्लियर साइंटिस्ट बन सफलता की मिसाल पेश कर दी।

अशोक ने इसी साल मार्च में भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर रिक्रूटमेंट की परीक्षा दी थी। परीक्षा में सफलता पाई। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी स्‍कीम अशोक के लिए वरदान साबित हुआ। ऐसे समय में गणित के शिक्षक ने भी अशोक की खासा मदद की। परीक्षा में सफलता पाने के बाद अशोक का इंटरव्यू हुआ। इंटरव्यू में भी सफलता पाई।‌ देशभर में दूसरी रैंक हासिल कर अशोक न्यूक्लियर साइंटिस्ट के लिए चयनित किए गए। अशोक कहते हैं कि कुल 30 अभ्यर्थियों के लिए इन पदों पर चयनित किया गया है।

अशोक अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। इनकी कामयाबी से परिवार के लोग खुशी से गदगद है।‌ अशोक पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम को अपना आदर्श मानते हैं। अशोक बताते हैं जब बच्चे थे तभी से वह अखबारों और टीवी में एपीजे अब्दुल कलाम के बताए गए रास्ते पर चल कर अपने भविष्य सवारने की तलाश शुरू कर दी थी। अशोक की कहानी बेहद प्रेरणादायक है।

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