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बिहार के लाल अनिल गरीबी को पीछे छोड़ पहले IIT पहुँचे और अब UPSC में प्राप्त किया 45वां रैंक
देश भारत की सबसे कठिन परीक्षा UPSC का रिजल्ट निकल चुका है, रिजल्ट में कुल 761 उम्मीदवारों को सफलता मिली है। इनमें से कई बहुत से ऐसे उम्मीदवार भी है, जिन्होंने माध्यम वर्गीय परिवार से आकर UPSC में जीत का परचम लहराया है। बहुत ही सामान्य परिवार से आने वाले अनिल बसक की कहानी भी कुछ ऐसी ही प्रेरणादायक है, शुरू के दिनों के असफलताओं के पश्चात भी तृतीय प्रयास में UPSC में सफलता पाई।
बिहार राज्य के किशनगंज के निवासी अनिल बसक ने वर्ष 2014 में IIT एंट्रेंस परीक्षा पास किया था, B.Tech की शिक्षा के लिए बिहार के किशनगंज से सीधे IIT दिल्ली आए। अनिल बसक बताते हैं, ‘जब वर्ष 2014 में IIT दिल्ली के लिए आया तो सिविल इंजीनियरिंग के तीसरे वर्ष में ही सिविल सर्विसेज की तैयारी की शुरूआत कर दी, वर्ष 2018 में अनिल ने पहली बार परीक्षा में भाग लिया।’ पहले प्रयास में प्री एग्जाम भी क्लियर नहीं हो सका, पर अनिल तैयारी को आगे निरंतर जारी रखा।
द्वितीय प्रयास में अनिल बसक को UPSC में सफलता प्राप्त हुई, अनिल बसक को 616 वीं स्थान प्राप्त हुआ और इंडियन रिवेन्यू सर्विस के लिए चयनित किया गया। परंतु वे अपने परिणाम से संतुष्ट नहीं थे, तत्पश्चात उन्होंने एक बार पुनः UPSC परीक्षा देने की सोचीं। तृतीय प्रयास में अनिल बसक ने ना ही केवल UPSC में जीत प्राप्त की, बल्कि TOP-50 में स्थान बनाते हुए 45वीं रैंक भी अनिल ने प्राप्त किया।
आपको बताते चलें कि अनिल बसक का सफर काफी संघर्षों से भरा है, परिवार की आर्थिक स्थिति काफी नाजुक थी। अनिल बसक इसका पूरा श्रेय अपने अभिभावकों अर्थात माता-पिता को ही देते हुए इंडिया टुडे से कहते हैं, “मेरे परिवार ने बहुत गरीबी देखी, सही बताऊं तो कठिन परिस्थितियां थीं और उन्ही परिस्थितियों ने मुझे मजबूत बनाया। मेरे अभिभावकों ने बहुत संघर्ष किया है, वही मेरी सफलता के जनक और असल हकदार हैं। पिताजी ने मुझे आगे बढ़ाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा दी, तभी जाकर में आज सफल हो पाया हूँ।”
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