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5 हजार से शुरु की बिजनेस, आज है 15 करोड़ टर्नओवर, प्रेरक है पूजा की कहानी

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मुझे शुरुआती दोनों से ही व्यस्त होना पसंद था। व्यस्त होने का मतलब गृहिणी बनकर बिजी होना नहीं था, किंतु ऐसा काम करते रहना जिससे मैं हमेशा व्यस्त रहूं। मेरे माइंड को क्रिएटिव खुराक मिलती रहे और 9 टू 5 वाला झंझट खत्म हो जाए। अब ये भी तय था कि समयसीमा में बंधकर काम नहीं करना, पर ये‌ निर्धारित नहीं था कि ऐसा क्या करूं, जिससे मेरे सपने साकार हो सकें और उन सपनों को हकीकत में बदलने की किक मिल सके। करियर को दिशा देने के होड़ में कई दिशाओं में भटकी और अंततः सभी रास्तों का स्वाद चखने के बाद अपने भविष्य को टेक्सटाइल इंडस्ट्री में संवारा। ये कहानी हैं नाइका, पिंटरेस्ट जैसे बड़े ब्रांड्स तक अपनी पहुंच बना चुकीं बिजनेस वुमन पूजा चौधरी की।

राजस्थान के भीलवाड़ा से आने वाली 29 वर्षीय पूजा वुमन ने दैनिक भास्कर को बताया कि भीलवाड़ा से दूसरी कक्षा तक की पढ़ाई से की और उसके बाद पिलानी में बोर्डिंग स्कूल में दाखिला हो गया और फिर यहीं रहकर कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद लक्ष्मणगढ़ से बीबीए कंप्लीट किया। फिर मैंने जापान से फाइनेंस में एमबीए की पढ़ाई पूरी की।

एमबीए करने के बाद नौकरी भी की लेकिन रास नहीं आया और फिर पिताजी के बिजनेस में हाथ बंटाया। पापा की चाहती कि मैं बिजनेस नहीं यूपीएससी की तैयारी करूं और फिर मुझे जयपुर सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए पिताजी ने भेज दिया। जयपुर जाकर पूजा ने यह महसूस किया कि यूपीएससी में सफलता हासिल करना मेरे बस की बात नहीं है। तब उन्होंने तब्दीश की कि जयपुर में सबसे ज्यादा क्या अच्छा बनाते हैं? तब पता चला कि यहां वुमन क्लोदिंग की छपाई का काम काफी प्रसिद्ध है और इसी को देखकर मैंने फैब्रिक के बारे में समझ बनाना शुरू किया।

पूजा ने सोच लिया था कि खुद को साबित करना है। इतना पढ़ने के बाद भी घर नहीं बैठना है। कपड़ा बाजार से कपड़ा लिया, स्टिचिंग डिजाइन लेकर भीलवाड़ा आ गई। 2018 में लावण्या द लेबल नाम की वेबसाइट बनाई। एक मशीन मंगवाकर कपड़े सिलने के लिए एक दर्जी रखा। पापा ने 6 महीने बाद भीलवाड़ा बुला लिया।

भीलवाड़ा में आकर पूजा ने महसूस किया कि यहां वुमन इंडस्ट्री नहीं है। दोबारा यहां आकर अपना सेटअप बनाना काफी मुश्किल रहा। जयपुर के कारीगर भीलवाड़ा आने के रब्दार में नहीं थे फिर बंगाल से कारीगर बुलाए, उन्हें सैलेरी दिया और फिर हमारा काम चालू हुआ।

कुल 5 हजार रुपए में पूजा ने लावण्या द लेबल की शुरुआत की थी। आज की तारीख में मिंत्रा, पिंटरेस्ट और नाइक जैसे ब्रांड के साथ काम कर रहे हैं। अब कंपनी का टर्नओवर 15 करोड़ का है। यहां तक के सफर में पूजा ने काफी संघर्ष किया है। मानसिक और शारीरिक तौर पर पूजा काफी मेहनत करती रही। महिलाओं के लिए पूजा किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

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