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5 बार असलताओं के बाद भी नहीं माने हार 6वीं प्रयास में सेल्फ स्टडी से के बदौलत UPSC में पाई सफलता
परिश्रम ही सफलता की कुंजी होती है, इसे चरितार्थ किया है नक्सल प्रभावित क्षेत्र से आने वाले संतोष भवरी ने। एशिया की सबसे मुश्किल परीक्षा यूपीएससी में 5 बार असफलता पाने के बावजूद भी संतोष ने हिम्मत नहीं हारी। और छठे प्रयास में 607 वी रैंक लाकर कामयाबी हासिल की है। अति साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले संतोष की कहानी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए प्रेरणा हो सकती हैं।
छत्तीसगढ़ के बस्तर के अति संवेदनशील इलाके में स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत डॉ संतोष चर्म रोग विशेषज्ञ हैं। आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले से आते हैं, यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने कहीं से कोचिंग क्लास की मदद नहीं ली। स्वाध्याय के दम पर उन्होंने परीक्षा में छठी बार में सफलता हासिल की। पहले तीन प्रयास में वह इंटरव्यू तक पहुंच चुके थे, इस बार उनका चयन इंडियन रेवेन्यू सर्विस यानी आईआरएस ऑफिसर में होना तय है।
संतोष अपने परिणाम से संतुष्ट नहीं है वह आईएएस अधिकारी बनना चाहते हैं। उन्होंने जिले के कलेक्टर रितेश अग्रवाल और सीओ राहुल वेंकेटेश से गाइडेंस लेकर कंपटीशन परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। संतोष कहते हैं, नक्सल प्रभावित इलाकों में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। यहां के विद्यार्थियों के लिए उचित मार्गदर्शन से यूपीएससी की तैयारियों के लिए माहौल तैयार करना होगा। उन्हें गाइडेंस की जरूरत है। संतोष ऐसे संवेदनशील इलाके में आईएएस बनकर जनमानस की सेवा करना चाहते हैं।
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