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10वीं में 3rd डिवीजन, 12वीं में हुए फेल, टेंपो चलाया फिर चौथे प्रयास में बन गए IPS अधिकारी
भारत देश में UPSC के प्रति अभ्यर्थियों की दीवानगी इस कदर होती है कि तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद अपने पुरुषार्थ और संघर्ष के बदौलत देश की सबसे मुश्किल परीक्षा को क्लियर कर आईएएस बनते हैं। एक ऐसे ही संघर्षो और तमाम प्रयासों से आईएएस बनने की कहानी मनोज शर्मा की है। मनोज की कहानी फिल्म की कहानी की तरह है। कभी मैट्रिक में थर्ड डिवीजन और 12वीं में फेल होने वाले मनोज की आईएएस बनने की कहानी हर किसी को पढ़नी चाहिए।
मध्य प्रदेश से आने वाले मनोज शर्मा नौवीं और दसवीं की परीक्षा थर्ड डिवीजन से पास की। 12वीं की परीक्षा में फेल हुए, दूसरे प्रयास में सफलता पाई। फिर मायानगरी मुंबई में भाई के साथ ऑटो चलाने लगे। ऑटो चलाने के दौरान ही उनके साथ घटी घटना ने सिविल सर्विसेज की तैयारियों के लिए प्रेरित कर दिया। पुलिस वाले ने मनोज की ऑटो जब्त कर ली, बाद में मनोज ने एसडीएम के पास जाकर ऑटो छुड़ाया। इसी दौरान एसडीएम से बातचीत में मालूम हुआ कि यूपीएससी की परीक्षा क्रेक कर यह पद मिलता है। फिर किया था मनोज यूपीएससी की तैयारी के लिए दिल्ली चले आए।
आर्थिक स्थिति सुदृढ़ नहीं थी, लिहाजा मनोज यूपीएससी की तैयारी के साथ ही रात में कुत्ते की टहलाने वाली नौकरी करते की। बदले में चार सौ रुपए मिलते थे, इसी से मनोज का सारा काम होता था। यूपीएससी की तैयारी करते रहें, लगातार तीन बार मिली असफलता ने एक बार फिर उन्हें सोचने पर मजबूर कर दिया। लेकिन मनोज ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। निरंतर मेहनत करते रहे।
वक्त का पहिया बदला और मनोज की किस्मत भी। चौथे प्रयास में यूपीएससी के घोषित नतीजे में मनोज ने 121 वीं रैंक लाकर सफलता पाई। 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी बने।फिलहाल मनोज मुंबई पुलिस के एडिशनल कमिश्नर के रूप में कार्यरत है। मनोज बताते हैं, के संघर्ष के दिनों में पत्नी श्रद्धा का भरपूर सहयोग रहा। श्रद्धा भी आईआरएस ऑफिसर है।
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