BIHAR
वैशाली के बिदुपुर स्थित फुलपुरा में 7 एकड़ में इंजीनियरिंग कॉलेज बनकर तैयार, कभी यहां हुआ करता था चरवाहा विद्यालय
90 के दशक में लालू प्रसाद अपने मुख्यमंत्री शासन काल में नारा दिया था, ओ गाय-भैंस चराने वालों, ओ सूअर-बकरी चराने वालों, ओ घोंघा चुनने वालों पढ़ना-लिखना सिखो। उन्होंने सिर्फ नारे ही नहीं दिए अपितु नारा लक्षित बच्चों के लिए चरवाहा विद्यालय भी खुलवाए। 23 दिसंबर 1991 को देश का पहला चरवाहा विद्यालय मुजफ्फरपुर के तुर्की में 25 एकड़ की भूमि में खोला गया था। इस कड़ी में लालू प्रसाद ने अपने राघोपुर निर्वाचन क्षेत्र के बिदुपुर चकसिकंदर फुलपुरा में भी चरवाहा विद्यालय खुलवाया था।
चरवाहा विद्यालय जब शुरू हुआ था तब इसके समर्थन एवं विरोध की दो धाराएं फूटीं थी। बाद के दिनों में चरवाहा विद्यालय का कंसेप्ट सफलीभूत नहीं हो पाया। हालांकि राजद से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के बाद भी सूबे के विकास के लिए प्रतिबद्ध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंजूरी दी गई इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माण के मामले को गति दी। फंड की कमी नहीं होने दी गई। यहां तक बिल्डिंग निर्माण के मेटेरियल की कीमती में भारी वृद्धि को देखते हुए इस्टीमेट रिवाईज भी किया गया।
कृषि विभाग के एग्रीकल्चर फार्म के जमीन पर चरवाहा विद्यालय बनाया गया था। अगले 2 वर्षो में चरवाहा विद्यालय का वजूद ही मिट गया था। आनन-फानन में बने विद्यालय के कमरे टूटने लग गए। अतः शीघ्र ही चरवाहा विद्यालय खंडहर में बदल गया। 2015 में राजद-जदयू की बनी सरकार में तेजस्वी यादव उप मुख्यमंत्री बने।
अपने माता-पिता के पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर से ही जीत हासिल कर वे विधानसभा पहुंचे थे। इसी दरम्यान तेजस्वी ने पिता लालू यादव द्वारा खंडहर बनी विरासत पर इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माण की मंजूरी दिलाई थी। इसे दो जेनरेशन के सोंच से भी जोड़कर देखा गया। साढ़े सात एकड़ भूमि पर राजकीय अभियंत्रण कॉलेज करीब बनकर तैयार हो चुका है। कार्यकारी एजेंसी भवन प्रमंडल के कार्यपालक अभियंता की देखरेख में रियल्टी एडवांस स्ट्रक्चर इंटरप्राईजेज कंपनी संवेदक के रूप में इंजीनियरिंग कॉलेज की बिल्डिंग का निर्माण कर रही है।
प्रारंभ में इस कॉलेज के निर्माण के लिए 59.15 करोड़ की राशि मंजूर हुई थी परंतु योजना स्वीकृति के बाद 5 वर्षो में निर्माण सामग्री की कीमतों में भारी वृद्धि देखा गया जिस कारण प्राक्कलित राशि को बढ़ाकर लगभग 80 करोड़ कर दिया गया है। 2018 से इस योजना पर काम शुरू हुआ था। कोरोना काल में आए अवरोध के बावजूद 3 वर्षो में कॉलेज का आलीशान भवन बनकर लगभग तैयार हो गया है।
इंजीनियरिंग कॉलेज 06 ब्लॉक में बंटे हैं। और उन 06 ब्लॉक में अलग-अलग कुल 09 बिल्डिंग हैं जो लगभग 01 लाख स्क्वायर फीट में है। उनमें प्रशासनिक, शैक्षणिक बिल्डिंग के अलावा ऑडोटोरियम हॉल, अलग-अलग फैकल्टीज के लिए लैब-वर्कशॉप, क्लासरूम इसके अलावा 207 कमरे वाला गर्ल्स होस्टल एवं 300 कमरे का ब्यॉयज हॉस्टल शामिल है। कार्यस्थल पर मौजूद साईट इंजीनियर ने नाम न छापने के शर्त पर बताया कि कंस्ट्रक्शन को फाईनल टच दिया जा रहा है। इसी मार्च माह में बिल्डिंग को सौंपने की तैयारी है।
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