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मुंबई की पुलिस कांस्टेबल, जिनकी सेवा भाव की वजह से लोग उन्हें ‘मदर टेरेसा’ कहते है

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जहां पुलिस की छवि हमेशा नकारात्मक होती है वही कुछ ऐसे अफसर भी है, जो कई लोगों के लिए मिशाल बने हैं। हाल ही में मुंबई की एक महिला पुलिस कर्मी अपने स्वभाव से पेश की मानवता की मिसाल। महाराष्ट्र के सतारा की रहने वाली रेहाना शेख मुंबई क्राइम ब्रांच में कॉन्स्टेबल है। रेहाना ना कि सिर्फ 50 जरुरतमंद बच्चों पर पढ़ाई का खर्च उठाया है, बल्कि कोरोना महामारी के समय 50 से अधिक लोगों की मदद भी की है। इसी वजह से लोग उन्हें ‘मादर टेरेसा’ कहते हैं।

रेहाना बताती है कि 13 मई को अपनी बेटी के जन्मदिन की तैयारी में हम लोग लगे थे। इसी दौरान पड़ोस के पुलिस कॉन्स्टेबल की करोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई और उसके बाद हम जन्मदिन सेलिब्रेट नहीं का पाए। फिर मेरे एक दोस्त ने रायगढ की जरुरतमंद बच्चों के बारे में बताया और तस्वीरें दिखाई। फिर मैंने अपने दोस्त से अपनी बेटी का जन्मदिन उनके साथ मनाने के बारे में पूछा उन्होंने हाँ कहा। लेकिन किसी कारण वहां नहीं जा सके शाम को मैंने दोस्त के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर कर दी और कहा वहां बच्चे को खाना खिला देना और मुझे तस्वीरे भेज देना। जब मैं तस्वीरें देखी तो हैरान रह गई मेरे आंखों में आंसू आ गए किसी के कपड़े फटे हुए तो किसी के पैर में चप्पल नहीं।इसके बाद रेहाना इन जरुरतमंद बच्चों के लिए कुछ करने का निर्णय लिया रेहाना कहती है कि मेरे पिता मुझे हमेशा लोगों के दु:ख में में साथ देने की सीख दी है।

Pic- The Better India

रेहाना उन बच्चों से मिलने के लिए रायगढ़ के धामनी स्थित ज्ञानायी विद्यालय पहुँची उन्होंने उन बच्चों के बीच कुछ कपड़े, खाने की चीजे दी और हर महीने अपने कमाई का कुछ हिस्सा जरुरतमंद बच्चों की शिक्षा के लिए खर्च करने का फैसला किया।फिलहाल 50 बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रही हैं। हर हफ्ते छूटी के दिन यहां आती हैं और मराठी और हिंदी पढ़ाती हैं।
करोना कि दूसरी लहर के दौरान कई लोगों के लिए मसीहा बनी उन्होंने 54 लोगों को प्लाज्मा से लेकर ऑक्सीजन और बेड उपलब्ध कराएं तथा एंबुलेंस की सुविधा उपलब्ध कराई। रेहाना का मानना है कि लोगों की मदद करना उनकी प्राथमिकता है।लोगों की मदद करते- करते खुद भी कोरोना से प्रभावित भी हुई, उन्हें 11 दिन के लिए अस्पताल में बिताना पड़ा। वह बताती हैं कि कोरोना के चपेट में आने के बाद उन्हें सरकार की ओर से 10 हजार रुपए का रिवार्ड मिला था। उन पैसों को उन्होंने स्कूल को दे दिया।

इतना ही नहीं रिहाना एक खिलाड़ी भी है। उन्होंने गोल्ड मेडल भी हासिल किया है, और कोरोना के दौरान लोगों की मदद करने के लिए उन्हें ‘ पुलिस मेडल ‘ से भी सम्मानित किया गया। वह लोगों से कहती है कि एक दूसरे की मदद करें ,एक सक्षम परिवार जरुरतमंद बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा ले तो देश में कोई अनपढ़ नहीं रहेगा। इसके अलावा वह अंग दान करने का भी अपील करती हैं। वह कहती है की अगर अंग दान करते हैं। तो आपके मरने के बाद भी आप का अस्तित्व दुनिया में रहेगा। मैंने कुछ समय पहले हीं अपनी आंखें दान कर दी ताकि मेरे मरने के बाद मेरी वजह से कोई और दुनिया को देख सके।

Source- The Better India

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