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मलिन बस्ती से UPSC परीक्षा पास करने तक का सफर, बेटे को पढ़ाने के लिए पिता ने बेच दी थी जमीन

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आज हम बात कर रहें है नुरुल हसन की जिनकी के घर की आर्थिक स्थिति शुरूआत से ही गड़बड़ रही थी। दिल्ली नॉलेज ट्रैक के मुताबिक़ उनके पिताजी फोर्थ ग्रेड के कर्मचारी थे तो वही उनकी माँ गृहणी थीं और साथ ही नुरुल हसन से दो छोटे भाई भी थे। आर्थिक तंगी के मध्य नुरुल का बचपन व्यतीत हुआ। गाँव में ही उनकी शुरू की शिक्षा पूर्ण हुई। वे जब वर्ग 6 में थे तो फ़िर A, B, C, D… सीखा। इसी कारण से नुरुल की इंग्लिश शुरू के दिनों में बहुत कमजोर थी।

जब किया क्लास में टॉप।

इधर नुरुल हसन ने जब 10वीं में 67 फीसदी अंक लाकर स्कूल में टॉप किया फिर उसके बाद उनके पिता को नौकरी मिल गई, तो परिवार गाँव छोड़, वे बरेली में ही रहने लगे। बरेली से ही नुरुल ने अपने 12वीं की शिक्षा को पूर्ण किया। जहाँ 75 फीसदी अंक आए थे। बरेली में नुरुल एक झुग्गी की बस्ती में ही रहते थे। विषम परिस्थितियों के बाद भी उन्होंने या उनके परिवार के सदस्यों ने कभी उनकी शिक्षा बंद करने के बारे में सोचा ही नही।

जब नुरुल हसन बने वैज्ञानिक।

इंटरमीडिएट के पश्चात नुरुल हसन को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बीटेक विषय मे नामांकन हेतु चयनित किया गया । परंतु तब नुरुल के पास कोर्स की फीस के लिए भी पैसे उपलब्ध नहीं थे। तो नुरुल के पिताजी ने अपनी गाँव की कुछ जमीन को बेच दी। जिसके पश्चात नुरुल ने भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के माध्यम से आयोजित एक एग्जाम का फॉर्म भरा एवं यह एग्जाम पास करने के पश्चात नुरुल एक वैज्ञानिक के रूप में नियुक्त किए गए। यहाँ से सबकुछ ही ठीक चल रहा था। दोनों छोटे भाई अध्ययन कर रहे थे और परिवार की स्थिति भी थोड़ी अच्छी हो चली थी। परंतु उनका मन यहाँ से भी कही और लग गया और वे यूपीएससी की ओर मुख मोड़ लिए।

फिर नुरुल ने मार ली बाजी।

जॉब के साथ ही UPSC की तैयारी करना बेहद कठिन था, परंतु उन्होंने कभी हार नहीं मानी। जब भी उन्हें मौका मिलता वें अध्ययन शुरू कर देते। वर्ष 2013 में उन्होंने सिविल सेवा एग्जाम की तैयारी की शुरूआत की थी और कठिन परिश्रम के बल पर साल 2015 में नुरुल हसन ने UPSC पास कर लिया। UPSC में हसन ने 625 रैंक प्राप्त किया और उन्हें IAS के लिए चयनित कर लिया गया।

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