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94 वर्ष की उम्र में शानदार अभिनय के चलते पद्म श्री सम्मान पाने वाले बिहार के रामचंद्र सिंह की कहानी
भिखारी ठाकुर के परंपरा को जीवंत रखने वाले और उनके शिष्य रामचंद्र मांझी हाल ही में पद्मश्री से नवाजे गए हैं। 10 साल की उम्र से ही नृत्य कला व अपने अभिनय से दर्शकों के चहेते रामचंद्र मांझी बिहार के सारण से आते हैं। शानदार अभिनय और अभूतपूर्व कला को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित करने की घोषणा की थी। बीते सप्ताह देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने हाथों 94 वर्षीय रामचंद्र मांझी को पद्मश्री से नवाजा।
सारण के रामचंद्र मांझी लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार हैं। रामचंद्र मांझी कहते हैं कि 10 साल की उम्र से ही नृत्य की शुरुआत की। साल 1971 तक भिखारी ठाकुर के मार्गदर्शन में काम किया। मांझी पद्मश्री से नवाजे जाने के बाद बेहद खुश हैं। साल 2017 में रामचंद्र मांझी को संगीत नाटक अकादमी से नवाजा गया था। महामहिम ने प्रशस्ति पत्र देकर एक लाख रूपए की पुरस्कार की राशि भी भेंट की थी। 94 साल की उम्र में भी मांझी वही पुराने जोश और जुनून के साथ मंच पर थिरकते हुए नजर आते हैं।
मांझी कहते हैं कि उनके जैसे कलाकार को इतने बड़े सम्मान से नवाजा जाना बेहद गौरव की बात है। भिखारी ठाकुर रंगमंडल के सबसे बुजुर्ग सदस्य रामचंद्र मांझी लोक रंगमंच पुरस्कार हेतु चयनित हो चुके हैं। बता दें कि बिहार में लौंडा नाच परंपरा की शुरुआत भिखारी ठाकुर ने की थी। इस नृत्य में लड़का लड़की की तरह मेकअप और कपड़े पहन कर गानों पर डांस करता है।
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