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हाइड्रोपोनिक खेती की शुरुआत कर पूर्वी ने बनाई अलग पहचान

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घाटे का सौदा बन चुकी खेती-किसानी से जहां युवाओं का मोहभंग हो रहा है, वहीं विदेश से MBA की पढ़ाई करने वाली पूर्वी ने हाइड्रोपोनिक खेती (बिना मिट्टी की खेती) आरंभ कर नई मिसाल कायम की है। उनका लक्ष्य लोगों को सस्ते फल एवं सब्जियां उपलब्ध कराना तो है ही, सहित ही महिलाओं आत्मनिर्भर बनाना है।

नगर से लगभग आठ किमी दूर हाईवे किनारे स्थित फूफई गांव निवासी पूर्वी लॉकडाउन से पहले बाइक बनाने वाली कंपनी हीरो के मार्केटिंग डिपार्टमेंट में जॉब करतीं थीं। कोरोना के चलते मार्च 2020 में लॉकडाउन लगा तो घर आ गईं तथा यहीं पर कुछ नया करने की ठान ली। पूर्वी ने बताया हैं की कोरोना काल में स्वास्थ्य तथा पोषण दोनों का जरूरी जन-जन में समझा। उसी वक्त मैंने हाइड्रोपोनिक खेती करने का मन बना लिया।

उसी के हेतु अपने गांव में ऑटोमेटेड फार्म बैंक टू रूट्स प्रिपरेशन किया तथा बिना मिट्टी वाली खेती करने लगीं। उन्होंने बताया कि फार्म में ओक लेट्यूस, ब्रॉकली, पाक चाय, चेरी टोमेटो, बेल पेपर एवम बेसिल की फार्मिंग कर रहीं हैं।
यहां पैदा होने वाली सब्जियों की सबसे अधिक मांग होटलों में है। यहां की सब्जियां टूरिस्ट भी खूब पसंद करते हैं। उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य महिला किसान के स्वरूप में जिले के लोगों को स्वास्थ्य वर्द्धक फल एवं सब्जियां कम दामों पर घर बैठे एब्लाबेल कराना है, उससे सभी लोग अच्छे रहें।
बहुत फायदेमंद हैं हाइड्रोपोनिक खेती की सब्जियां एवं फल
जनता कृषि महाविद्यालय बकेवर के प्राचार्य डॉ. राजेश त्रिपाठी के अनुसार हाइड्रोपोनिक टेक्निकल से प्रोडक्शन सब्जियां बहुत ही सेहत के लिए फायदेमंद होती हैं।

उन्होंने बताया कि वक्त – वर्क्त पर हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के हेतु जनता महाविद्यालय के उद्यान डिपार्टमेंट से पूर्वी को सहायता भी दिया जाता है। जिला अस्पताल की भोजन विशेषज्ञ डॉ. अर्चना सिंह के अनुसार हाइड्रोपोनिक खेती से प्रोड्यूस सब्जियां विटामिन, खनिज तत्व से परिपूर्ण होती हैं। उनका इस्तेमाल सलाद, जूस, सैंडविच, बर्गर समेत भिन्न भिन्न व्यंजनों में किया जा सकता है। ये पौधे पूर्णतया ऑर्गेनिक होते हैं। ये उच्च रक्तचाप, मधुमेह, ओबेसिटी तथा हृदय रोगियों के हेतु बेहद फायदामंद होते हैं।

ये है हाइड्रोपोनिक खेती
आसान भाषा में बताया तो हाइड्रोपोनिक्स खेती का मतलब बिना मिट्टी वाली खेती है। उसमे पौधों को सारी आवासयक पोषण पानी के जरिए से दिया जाता है। उसके हेतु केवल पानी, पोषक तत्व तथा प्रकाश की आवश्यक होती है।
उद्यान डिपार्मेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. एके पांडे द्वारा बताया गया कि यह खेती हर तरह की जल पर निर्भर होती है। उसमे मिट्टी का उपयोग नहीं होता। इस वजह से उसमे किसी भी कीटनाशक का उपयोग नहीं होता। ये पौधे पूर्णतया ऑर्गेनिक होते हैं। यह भी कहा कि उसमे पानी की बर्बादी कम होती है। उसमे खेतों की अपेक्षा केवल दस फीसदी ही पानी लगता है।

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