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बिहार में अब जमीन की खरीद होगी महंगी, जाने राज्य में कब से लागू होगी मिनिमम वैल्यू रेट मे बढ़ोतरी
बिहार राज्य में अब जमीन खरीदना महंगा होगा। सरकार जमीन के MVR मिनिमम वैल्यू रेट के वृद्धि के तैयारी में है। मिनिमम वैल्यू रेट के बढ़ोतरी के बाद सीधा असर जमीन रजिस्ट्री की कीमत पर पड़ेगा। विभाग की ओर से अब तक मिली जानकारी के अनुसार सरकार अप्रैल में MVR बढ़ाने की तैयारी में है। बढ़ोतरी से पूर्व इस सम्बन्ध में सभी जिलों से सलाह ली जा रही है। हरी झंडी मिलते ही जिलों के स्तर पर MVR बढ़ाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी।
इससे पहले 6 वर्ष पहले 2016 में मिनिमम वैल्यू रेट बढ़ा था। उस दौरान इसकी दर 10 से 40 फीसदी तक बढ़ाई गई थी। MVR वह दर होती है जिसे सरकार द्वारा न्यूनतम दर मानी जाती है। किसी खास इलाके में खास तरीके की जमीन की हो रही खरीद-बिक्री में जो औसत बाजार मूल्य पाया जाता है, उसी के आसपास MVR तय किया जाता है। संबंधित जिलों के जिलाधिकारी इसे अधिसूचित करते हैं। इसके बाद इसी के आधार पर जमीन की खरीद-बिक्री की जाती है।
विभाग से जुड़े अधिकारी डिजिटाइज्ड जमाबंदी की गलतियों को अब स्वयं सुधार करेंगे। साथ ही परिमार्जन पोर्टल को भी बंद कर दिया जाएगा। राज्य में कुल 3.77 करोड़ जमाबंदियां हैं इन सभी जमाबंदीयों को डिजिटाइज्ड किया जा चुका है। अभी वर्तमान में डिजिटाइजेशन के दौरान गलत हुई जमाबंदी ‘परिमार्जन पोर्टल’ से अभी ठीक किया जा रहा है। राज्य के अधिकारी स्वयं उन गलतियों को ठीक करेंगे।
उसके बाद परिमार्जन पोर्टल को बंद कर दिया जाएगा। सिर्फ इतना ही नहीं सरकार बंटवारा संबंधी विवाद को लेकर BLDR एक्ट में संशोधन करने पर विचार कर रही है। इससे जिन मामलों में विवाद का निपटारा सर्वसम्मति नहीं हुआ है, उसमें बहुमत से जमीन के बाजार मूल्य के आधार पर बंटवारा किए जाने की शक्ति DCLR को मिल जाएगी। इसके लिए विधानसभा में गुरुवार को 1332.41 करोड़ रुपए का विभाग का बजट पारित हो चुका है।
राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री राम सूरत कुमार ने विधानसभा में बताया कि अगले महीने सरकारी भूमि अतिक्रमण करने वालों पर बुलडोजर चलेगा। अभियान के लिए प्रत्येक जिले में 10 लाख रुपए दिए गए हैं। यह भी निर्णय लिया गया है कि सरकारी जमीन से संबंधित मामलों में समय रहते सरकार का पक्ष नहीं रखने और सरकारी भूमि के संरक्षण में लापरवाही करने वाले राजस्व अधिकारियों/कर्मियों पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
सरकार को जिन पदाधिकारियों या कर्मियों की वजह से नुकसान होगा, उनसे सरकारी भूमि के बराबर राशि वसूल की जाएगी। मंत्री ने कहा कि अभियान बसेरा के तहत सूबे में कुल 89 हजार भूमिहीन परिवारों को आवास निर्माण के लिए भूमि दी गई है। वहीं, अभियान दखल-दहानी के तहत अपनी भूमि से बेदखल 1.08 लाख लोगों को कब्जा दिलाया गया। अगले एक वर्षो में 25 हजार भूमिहीनों को भूमि देने की लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
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